लखनऊ: 14 अगस्त, 2025
उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर सराहना की। पूजा पाल ने कहा कि उनके पति राजू पाल की हत्या करने वाले माफिया अतीक अहमद को खत्म करके योगी सरकार ने उन्हें और प्रयागराज की कई अन्य महिलाओं को न्याय दिलाया। इस बयान ने सपा के भीतर हलचल मचा दी है, क्योंकि यह विपक्षी विधायक का अपनी ही पार्टी लाइन से हटकर दिया गया बयान है।
“कोई मेरे साथ नहीं था, योगी ने दी हिम्मत”
पूजा पाल ने विधानसभा में भावुक होकर कहा, “जब मेरे पति की हत्या हुई, तब मैं अकेली थी। कोई मेरी लड़ाई में साथ नहीं दे रहा था। मैं थकने लगी थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अतीक अहमद जैसे अपराधी को मिट्टी में मिलाने का काम किया।” उन्होंने आगे कहा कि योगी सरकार की इस नीति ने न केवल उन्हें, बल्कि प्रयागराज और पूरे उत्तर प्रदेश में कई महिलाओं को अपराधियों से मुक्ति दिलाई।
अतीक अहमद का खात्मा और योगी की नीत
पूजा पाल का यह बयान उस संदर्भ में आया है, जब योगी सरकार की अपराध के खिलाफ सख्त नीतियों को लेकर विपक्षी दल अक्सर सवाल उठाते रहे हैं। अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की 2023 में हत्या ने उत्तर प्रदेश में माफिया के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई को रेखांकित किया था। पूजा पाल ने कहा कि योगी की नीतियों ने अपराधियों में डर पैदा किया है और समाज को सुरक्षित बनाने में मदद की है।
सपा में बगावत की सुगबुगाहट
पूजा पाल का यह बयान सपा के लिए असहज करने वाला माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी लंबे समय से योगी सरकार की कानून-व्यवस्था की नीतियों की आलोचना करती रही है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने पूजा पाल के इस बयान को सपा के लिए ‘बगावत’ करार दिया है। कुछ ने इसे उनकी व्यक्तिगत लड़ाई का नतीजा बताया, जबकि अन्य ने इसे योगी सरकार की अपराध विरोधी नीतियों की जीत के रूप में देखा।
विपक्ष और समर्थकों की प्रतिक्रिया
सपा के कुछ नेताओं ने पूजा पाल के बयान पर असहजता जताई है, जबकि बीजेपी समर्थकों ने इसे योगी सरकार की उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लिखा, “विपक्षी विधायक भी बाबा जी की तारीफ कर रहे हैं, यह योगी सरकार की जीत है।”
पूजा पाल का यह बयान न केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई को दर्शाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की अपराध के खिलाफ सख्त नीतियों को भी रेखांकित करता है। यह सपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि विपक्षी विधायक का अपनी ही पार्टी लाइन से हटकर बोलना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।