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भारत की अर्थव्यवस्था पर वार की धमकी, पाक आर्मी चीफ की जामनगर रिफाइनरी पर नजर

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इस्लामाबाद 12 अगस्त 2028

पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने एक बेहद विवादास्पद और उकसाने वाला बयान देकर भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव की एक नई लकीर खींच दी है। मुनीर ने खुले तौर पर चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान को “नीचे गिरना” पड़ा, तो वह भारत की आर्थिक संपत्तियों को निशाना बनाएगा, जिनमें विशेष रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की जामनगर रिफाइनरी का नाम लिया गया है। यह बयान न केवल कूटनीतिक हलकों में बल्कि आर्थिक और सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच भी गहरी चिंता का विषय बन गया है।

मुनीर के इस बयान को कई विश्लेषक पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों के दबाव में उठाया गया “डेस्परेट मूव” मान रहे हैं। पाकिस्तान की बिगड़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी अपनी जंग ने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया है। ऐसे माहौल में भारत की आर्थिक ताकत और औद्योगिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का बयान, क्षेत्रीय शांति के लिए बेहद खतरनाक संकेत देता है।

भारत में जामनगर रिफाइनरी न केवल देश की बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनिंग सुविधाओं में से एक है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में अहम भूमिका निभाती है। इस पर किसी भी तरह का हमला न सिर्फ भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार को भी हिला सकता है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस तरह के बयानों को केवल लापरवाही से नहीं लिया जा सकता और देश के महत्वपूर्ण आर्थिक व औद्योगिक ठिकानों की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा।

कूटनीतिक मोर्चे पर भी इस बयान के बाद हालात पेचीदा हो गए हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से ठंडे पड़े रिश्तों में यह बयान और कड़वाहट भर सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और खाड़ी देशों, से अपेक्षा की जा रही है कि वे पाकिस्तान पर दबाव डालें ताकि वह ऐसे उकसाने वाले और आक्रामक बयानों से परहेज करे।

सुरक्षा विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसे बयान अक्सर “मनोवैज्ञानिक युद्ध” का हिस्सा होते हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों में भय पैदा करना और विरोधी देश की अर्थव्यवस्था पर अप्रत्यक्ष दबाव डालना होता है। लेकिन भारत, जिसने आतंकवाद और सीमा पार हमलों के बावजूद अपनी आर्थिक प्रगति की रफ्तार बरकरार रखी है, इस चुनौती को भी अवसर में बदलने की क्षमता रखता है।

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