नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025
डिजिटल इंडिया अभियान के तहत देश में आधार फेस ऑथेंटिकेशन ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने 10 अगस्त 2025 को 200 करोड़ फेस ऑथेंटिकेशन लेन-देन का आंकड़ा पार कर लिया। खास बात यह है कि जनवरी 2025 में 100 करोड़ का आंकड़ा छूने के बाद यह संख्या सिर्फ छह महीने में दोगुनी हो गई। यह न केवल तकनीकी स्केलेबिलिटी का प्रमाण है, बल्कि देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे और नागरिकों के बीच इस सेवा पर बढ़ते विश्वास का भी संकेत है।
आधार फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक से किसी भी व्यक्ति की पहचान तुरंत, सुरक्षित और बिना किसी दस्तावेज़ के, कहीं भी और कभी भी सत्यापित की जा सकती है। इस सुविधा के चलते ग्रामीण इलाकों से लेकर महानगरों तक, पहचान की प्रक्रिया अब न केवल आसान बल्कि पूरी तरह पेपरलेस और संपर्करहित हो चुकी है। UIDAI के सीईओ श्री भुवनेश कुमार ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, “200 करोड़ आधार फेस ऑथेंटिकेशन लेन-देन तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि निवासियों और सेवा प्रदाताओं को इस सुरक्षित, समावेशी और नवाचारपूर्ण ऑथेंटिकेशन प्रणाली पर पूरा भरोसा है। यह सफलता दर्शाती है कि भारत डिजिटल रूप से कितना तैयार है।”
उन्होंने आगे बताया कि UIDAI सरकारों, बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर इस तकनीक को हर नागरिक तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रहा है। इसका उद्देश्य है कि हर भारतीय को, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में रहता हो, अपनी पहचान तुरंत और सुरक्षित तरीके से साबित करने की शक्ति मिले। आंकड़ों के अनुसार, 2024 के मध्य तक 50 करोड़ फेस ऑथेंटिकेशन लेन-देन दर्ज किए गए थे। इसके बाद सिर्फ पांच महीनों में यह संख्या 100 करोड़ पर पहुँची और अब छह महीने में ही यह दोगुनी होकर 200 करोड़ हो गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपलब्धि केवल संख्या भर नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि तकनीक जब समावेशी और बड़े पैमाने पर लागू की जाती है, तो वह डिजिटल विभाजन को मिटाकर नागरिकों को सशक्त बना सकती है। आधार फेस ऑथेंटिकेशन ने सरकारी सेवाओं से लेकर बैंकिंग, मोबाइल कनेक्शन और विभिन्न डिजिटल लेन-देन तक, पहचान सत्यापन की प्रक्रिया को तेज, सरल और भरोसेमंद बना दिया है। यह मील का पत्थर भारत को एक आत्मविश्वासी, जुड़े हुए और पूरी तरह डिजिटल भविष्य की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।