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राहुल के नेतृत्व में विपक्ष का मार्च, पुलिस ने हिरासत में लिया; सांसद बोले, “लोकतंत्र से डरते हैं कायर मोदी, वोट चोर — गद्दी छोड़”

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में सोमवार को INDIA गठबंधन के सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग (ECI) तक एक बड़ा और संगठित मार्च निकाला, जो पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन संसद भवन से कुछ ही दूरी पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया। राहुल गांधी ने कहा, “भारत के लोकतंत्र की हालत देखिए। 300 सांसद चुनाव आयोग से मिलना चाहते थे… चुनाव आयोग ने मना कर दिया कि 300 सांसद नहीं आ सकते हैं। ये लोग डरते हैं… यह लड़ाई राजनीति से आगे निकल गई है। यह लड़ाई देश की आत्मा के लिए है…”

विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई लोकतंत्र की आवाज़ दबाने के उद्देश्य से की गई, जबकि बीजेपी और चुनाव आयोग ‘वोट चोरी’ में मिलीभगत कर रहे हैं। राहुल गांधी ने इस मौके पर स्पष्ट कहा कि यह लड़ाई किसी दल की राजनीति की नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा की लड़ाई है। उन्होंने एक व्यक्ति–एक वोट के सिद्धांत की रक्षा का संकल्प दोहराया और यह भी सवाल उठाया कि जब विपक्ष सिर्फ चुनाव आयोग को सामूहिक रूप से दस्तावेज़ सौंपना चाहता था, तब नरेंद्र मोदी को आखिर किस बात का डर था। 

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष

 गर्मी और उमस के बीच इस प्रदर्शन में शरद पवार और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों लगभग 85 वर्ष के नेता हैं, वो भी डेट हुए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटनाक्रम को मोदी सरकार की ‘घबराहट’ करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमें चुनाव आयोग तक पहुंचने नहीं देती, तो यह साफ संकेत है कि उसे कुछ छिपाना है। खड़गे ने तर्क दिया कि मार्च में सभी सांसद शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहे थे, और चुनाव आयोग को चाहिए था कि वह सभी सांसदों को बुलाकर एक बैठक करता, लेकिन वह कह रहा है कि सिर्फ 30 सदस्य आएं—ऐसा कैसे संभव है? उन्होंने चेतावनी दी कि विपक्ष डरने वाला नहीं है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगा।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में बताया कि ‘वोट चोरी’ पर उनका शक पहली बार मध्य प्रदेश के सांवेर विधानसभा क्षेत्र में पक्का हुआ। उन्होंने विस्तार से आंकड़े रखते हुए कहा कि 2018 में कांग्रेस उम्मीदवार तुलसी सिलावट ने 2,945 वोट से जीत दर्ज की, मतदान 69.4% रहा। 2020 में सिलावट बीजेपी में शामिल हुए और उपचुनाव में 53,200 वोट से जीते, जबकि मतदान केवल 2% बढ़ा। 2023 में मतदान 10% गिरा, लेकिन जीत का अंतर 68,854 तक पहुंच गया। राहुल के मुताबिक, यह साफ इशारा है कि कांग्रेस का वोट कृत्रिम रूप से घटाया गया और बीजेपी का वोट बढ़ाया गया—यही वह पहला ठोस सबूत है जिसे उन्होंने ‘एमपी मॉडल ऑफ वोट चोरी’ नाम दिया।

मार्च का माहौल बेहद ऊर्जावान और उत्तेजित था। सुबह 11:30 बजे मकर द्वार, संसद से मार्च की शुरुआत हुई और “वोट चोरी बंद करो” के नारे लगातार गूंजते रहे। कई महिला सांसद बैरिकेड लांघने की कोशिश करती दिखीं। पुलिस के मुताबिक, चुनाव आयोग ने केवल 30 सांसदों को आने की अनुमति दी थी, लेकिन विपक्षी दलों के अधिकतर नेता पहुंचे, जिसके चलते पुलिस ने उन्हें संसद मार्ग थाने ले जाकर हिरासत में रखा। हालांकि बाद में सभी को रिहा कर दिया गया, लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना था कि यह सिर्फ डर दिखाने और जनता के सामने उन्हें कमजोर साबित करने की साजिश है।

इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया पर भी माहौल गर्म है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर युवा इन्फ्लूएंसर लगातार इस मुद्दे पर वीडियो बना रहे हैं और इसे ‘लोकतंत्र बचाओ आंदोलन’ का नया चरण बता रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “राहुल गांधी ने ऐसे तथ्य रख दिए हैं जिन्हें कोई नकार नहीं सकता।” वहीं, शशि थरूर ने कहा, “गंभीर सवाल पूछे गए हैं, आयोग को गंभीर जवाब देने चाहिए।” 

वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन  X पर लिखते हैं , बिहार चुनाव कैसे भी जीतने की ज़िद में मोदी–शाह ने लगातार चुनाव जीतते रहने का फॉर्मूला ही आउट कर दिया। इन्हें गुमान था कि गोदी मीडिया सब संभाल लेगा। अब विपक्ष सड़क पर है और एक देशव्यापी आंदोलन की ज़मीन तैयार हो चुकी है।अखिलेश यादव बैरिकेटिंग लांघ रहे हैं, राहुल गांधी पुलिस हिरासत में बस की खिड़की से मीडिया से बात कर रहे हैं, सांसद धरने पर हैं – ये बदलाव की  तस्वीरें हैं।

विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी मोर्चा संभाला। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को ‘डरी हुई’ और ‘कायर’ बताया, जबकि जयराम रमेश ने संसद के सामने ही लोकतंत्र की हत्या होने का आरोप लगाया। बिहार में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि राहुल गांधी की लोकप्रियता इस वक्त अपने चरम पर है और अब उन्हें पुख्ता सबूतों के साथ जवाब लेना होगा। वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्ष पर अराजकता फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस झूठ की राजनीति कर रही है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी राहुल गांधी के मार्च और ‘वोट चोरी’ के आरोपों का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ कांग्रेस का मुद्दा नहीं है, बल्कि हर उस मतदाता का मुद्दा है, जिसने ईमानदारी से अपना वोट डाला और फिर भी परिणाम पर शक किया। बीजेपी लोकतंत्र को अपनी जेब में रखने की कोशिश कर रही है।” मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने जोड़ा, “उत्तर प्रदेश में भी वोट लिस्ट में गड़बड़ी और मशीनों में हेराफेरी की शिकायतें लगातार आ रही हैं। अगर संसद के प्रतिनिधियों को भी चुनाव आयोग तक नहीं जाने दिया जाता, तो आम नागरिक का क्या होगा?” दोनों नेताओं ने विपक्षी एकता को और मजबूत करने और कानूनी लड़ाई संयुक्त रूप से लड़ने की बात कही।

मार्च के दौरान “वोट चोर—गद्दी छोड़” के नारे लगातार गूंजते रहे। राहुल गांधी ने साफ किया कि विपक्ष हर हाल में वोट चोरी को रोकने के लिए लड़ेगा, लोकतंत्र की रक्षा करेगा और देश को किसी भी कीमत पर बचाएगा। उन्होंने घोषणा की कि विपक्ष अब 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में भी इस मुद्दे को उठाएगा, जिसे उन्होंने ‘लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा’ बताया। इस पूरे घटनाक्रम ने विपक्षी खेमे को पहले से कहीं ज्यादा एकजुट कर दिया है और संसद से लेकर सोशल मीडिया तक ‘वोट चोरी’ पर बहस अब चरम पर पहुंच गई है। चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया का सभी को इंतजार है, लेकिन विपक्ष का दावा है—“सच सामने आ चुका है, अब इसे कोई नहीं रोक सकता।”  शिव सेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राऊत ने कहा कि हम लोग करीब 300 सांसद हैं, दिल्ली पुलिस INDIA गठबंधन के सांसदों को चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च की अनुमति क्यों नहीं दे रही, क्या सांसद आतंकवादी है ? – 

 

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