नई दिल्ली 11 अगस्त 2025
भारतीय टेस्ट क्रिकेट में इस समय तेज गेंदबाजी विभाग लगभग जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज पर टिका हुआ है। दोनों गेंदबाजों ने पिछले कुछ वर्षों में टीम को कई अहम जीत दिलाई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इन पर बढ़ती निर्भरता भारत को भविष्य में तेज गेंदबाजी संकट की ओर धकेल सकती है। चोट, थकान और लगातार खेलने का दबाव किसी भी गेंदबाज के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है, और अगर इन दो प्रमुख गेंदबाजों में से कोई भी लंबे समय के लिए बाहर हो गया, तो भारतीय टीम के पास टेस्ट स्तर पर समान प्रभाव डालने वाला विकल्प सीमित है।
बीते कुछ वर्षों में भारत के तेज गेंदबाजी आक्रमण ने दुनिया भर में अपनी धाक जमाई है। मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा, उमेश यादव जैसे अनुभवी गेंदबाजों के योगदान से टीम को ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी कठिन परिस्थितियों में ऐतिहासिक जीत मिली। हालांकि अब इनमें से कुछ गेंदबाज या तो उम्रदराज हो रहे हैं, या फिटनेस समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से टीम का भार मुख्य रूप से बुमराह और सिराज पर आ गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि तेज गेंदबाजी एक ऐसा कौशल है जिसमें लंबी तैयारी और निरंतर फिटनेस की जरूरत होती है। भारत के पास घरेलू क्रिकेट में कई उभरते हुए गेंदबाज हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट के लिए जरूरी अनुभव, लय और मानसिक मजबूती अभी भी उनमें विकसित की जानी बाकी है। आईपीएल और सीमित ओवर के क्रिकेट पर अधिक जोर होने के कारण कई गेंदबाज लंबे फॉर्मेट की मांगों के अनुरूप खुद को ढालने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
पूर्व खिलाड़ियों का सुझाव है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) को अब से ही तेज गेंदबाजों की एक बैकअप ब्रिगेड तैयार करनी चाहिए, जिसमें युवा गेंदबाजों को विदेशी दौरों पर भेजकर उन्हें परिस्थितियों के अनुसार ढालने का मौका दिया जाए। साथ ही, उनके कार्यभार का प्रबंधन और चोट से बचाव के लिए एक वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्रणाली लागू करना जरूरी है।
अगर भारत ने इस पर अभी ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले वर्षों में टेस्ट क्रिकेट में तेज गेंदबाजी विभाग में गहराई की कमी एक बड़ी चुनौती बन सकती है। बुमराह और सिराज भले ही अभी अपनी चरम अवस्था में हों, लेकिन एक संतुलित और टिकाऊ तेज गेंदबाजी यूनिट के लिए भविष्य की योजना बनाना अब अनिवार्य हो गया है।