नागपुर
10 अगस्त 2025
महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को एक बड़ा राजनीतिक खुलासा हुआ, जब एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने नागपुर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान दावा किया कि 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले दो अज्ञात व्यक्ति उनसे मिले और विपक्ष को 288 में से 160 सीटों पर विजय की गारंटी देने का प्रस्ताव दिया। पवार के अनुसार, इन व्यक्तियों ने यह भरोसा दिलाया कि वे चुनाव परिणाम को विपक्ष के पक्ष में करने में सक्षम हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव को सुनने के बाद तुरंत कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इसकी जानकारी दी और इन दोनों व्यक्तियों को उनसे मिलवाया। पवार ने कहा कि राहुल गांधी और उन्होंने मिलकर इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया, क्योंकि उनका मानना है कि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से, जनता के भरोसे और निष्पक्ष प्रक्रिया के जरिये ही जीते जाने चाहिए, न कि किसी अनैतिक रास्ते से। पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास उन दोनों लोगों के कोई संपर्क विवरण या ठोस पहचान नहीं है, क्योंकि उन्होंने इस मामले को आगे बढ़ाने की आवश्यकता ही नहीं समझी।
यह खुलासा ऐसे समय पर सामने आया है जब राहुल गांधी ‘वोट चोरी’ (vote theft) के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल को घेर रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि भारत के लोकतंत्र में मतों की गिनती व परिणामों के साथ छेड़छाड़ संभव है। पवार ने उनके आरोपों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग से आग्रह किया कि इस मामले की गहराई से जांच हो और ऐसी किसी भी कोशिश को सख्ती से रोका जाए जो चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि उनका और राहुल गांधी का विश्वास जनता के जनादेश पर है, और वे किसी भी ‘शॉर्टकट’ को लोकतंत्र के लिए घातक मानते हैं।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार के इस बयान को चुनावी माहौल में सनसनी फैलाने वाला और समयानुकूल राजनीतिक दांव बताया। उन्होंने पवार की तुलना फिल्मी कहानीकारों सलिम-जावेद से करते हुए कहा कि यह दावा किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट की तरह है, जिसे सुनकर मनोरंजन तो होता है, लेकिन इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं होता। फडणवीस ने सवाल उठाया कि अगर पवार को सचमुच ऐसा कोई गंभीर प्रस्ताव मिला था, तो उन्होंने चुनाव आयोग या पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह पूरा बयान राहुल गांधी से मुलाकात के ‘साइड इफेक्ट’ के तौर पर सामने आया है, जिससे केवल राजनीतिक माहौल गरमाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। विपक्ष इसे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे बेबुनियाद और ध्यान भटकाने वाला मुद्दा करार दे रहा है। अब देखना यह होगा कि शरद पवार के इस सनसनीखेज दावे पर चुनाव आयोग क्या रुख अपनाता है और क्या यह मामला आगे किसी कानूनी या राजनीतिक जांच तक पहुंच पाता है, या महज चुनावी बयानबाज़ी बनकर रह जाता है।