तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के जवाब में राज्य की नई शिक्षा नीति का अनावरण किया है। इस नीति का उद्देश्य तमिलनाडु के शैक्षिक तंत्र को और अधिक समावेशी, प्रगतिशील और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र की NEP में कई ऐसे पहलू हैं जो राज्य की विशेषताओं और जरूरतों से मेल नहीं खाते, इसलिए तमिलनाडु ने अपनी स्वतंत्र शिक्षा नीति बनाकर अपनी पहचान कायम की है।
नई नीति में तमिल भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। इसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण को बेहतर बनाने, स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने जैसे कई महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं। स्टालिन ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ाई-लिखाई नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनकी सामाजिक-आर्थिक उन्नति को सुनिश्चित करना भी है।
उन्होंने इस नीति को तमिलनाडु के युवाओं के लिए एक स्वर्णिम अवसर बताया, जो उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की NEP के मुकाबले यह नीति ज्यादा लोकतांत्रिक और क्षेत्रीय संवेदनशील है, जिससे हर बच्चे को गुणवत्ता शिक्षा मिल सकेगी। इस नीति के तहत राज्य सरकार ने सभी शैक्षिक संस्थानों में समावेशन और समानता को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया है।
तमिलनाडु की इस नई शिक्षा नीति को राज्य के शिक्षा विभाग और विशेषज्ञों की एक समिति ने तैयार किया है, जो स्थानीय जरूरतों और वैश्विक मानकों का संतुलन सुनिश्चित करती है। मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित पक्षों से इस नीति को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की है। यह नीति तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखी जा रही है, जो राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करेगी।