नई दिल्ली 8 अगस्त 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 6 अगस्त 2025 को राजधानी में बने आधुनिक कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन किए जाने से पहले ही, मंत्रालयों में कार्यरत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसके ओपन-ऑफिस लेआउट को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की थीं। केंद्रीय सचिवालय सेवा (Central Secretariat Service – CSS) के प्रतिनिधि मंच ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को एक औपचारिक पत्र भेजकर कहा था कि इस नए भवन का डिज़ाइन, जहां सभी विभागों को एक साथ ओपन-प्लान कार्यक्षेत्र में बैठाया गया है, संवेदनशील और गोपनीय सरकारी कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। अफसरों का मानना है कि इस व्यवस्था में विभागों के बीच स्पष्ट विभाजन का अभाव है, जिससे न केवल गोपनीय सूचनाओं के लीक होने का खतरा बढ़ जाता है बल्कि कार्यकुशलता और एकाग्रता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
पत्र में CSS फोरम ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि कर्तव्य भवन-3 में कई अनुभागों के कर्मचारियों को बिना किसी निजी कक्ष या पर्याप्त विभाजन के एक बड़े साझा हॉल में बैठाया गया है। इससे ऐसी स्थिति बन रही है जहां संवेदनशील फाइलों पर चर्चा, गोपनीय टेलीफोन वार्तालाप और रणनीतिक निर्णयों से जुड़ी बातचीत अन्य कर्मचारियों के लिए आसानी से सुनाई दे सकती है। अफसरों ने चेताया कि यह न केवल सुरक्षा मानकों के खिलाफ है बल्कि राष्ट्रीय हित से जुड़े मामलों में गंभीर जोखिम भी पैदा कर सकता है। इसके अलावा, पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि भवन का लेआउट MoHUA के 16 मार्च 2017 के ऑफिस मेमोरेंडम में तय किए गए न्यूनतम कार्यालय आयाम मानकों का पालन नहीं करता। उदाहरण के तौर पर, उप सचिव (Under Secretary) के लिए 120 वर्ग फीट, अनुभाग अधिकारी (Section Officer) के लिए 60 वर्ग फीट और सहायक अनुभाग अधिकारी (Assistant Section Officer) के लिए 40 वर्ग फीट का न्यूनतम स्पेस निर्धारित है, लेकिन नए भवन में यह व्यवस्था काफी हद तक घटा दी गई है।
CSS अधिकारियों ने पीएमओ से आग्रह किया है कि कम से कम सभी Group A अधिकारियों (उप सचिव और उससे ऊपर) को बंद कमरे (Closed Chambers) उपलब्ध कराए जाएं ताकि वे संवेदनशील दस्तावेजों और गोपनीय कार्यों को सुरक्षित माहौल में निपटा सकें। साथ ही, ऐसे विभाग जिनका कार्य सीधे सुरक्षा, विदेश नीति या गोपनीय प्रशासनिक मामलों से जुड़ा है, उनके ASO और SO को भी अलग और सुरक्षित कार्यक्षेत्र प्रदान किया जाए। अधिकारियों का तर्क है कि भले ही आधुनिक ओपन-ऑफिस प्रणाली सहयोग और संचार बढ़ाने में मददगार हो, लेकिन सरकारी तंत्र में जहां गोपनीयता सर्वोपरि है, वहां यह मॉडल व्यवहारिक रूप से नुकसानदेह साबित हो सकता है।
इस पूरे विवाद से यह साफ है कि नए कर्तव्य भवन का उद्देश्य भले ही मंत्रालयों को एक ही परिसर में लाकर बेहतर प्रशासनिक समन्वय स्थापित करना हो, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसकी डिज़ाइनिंग में सुरक्षा और गोपनीयता जैसे बुनियादी तत्वों को पर्याप्त महत्व दिया गया है या नहीं। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय इन आपत्तियों पर क्या रुख अपनाता है और क्या भवन के लेआउट में कोई बदलाव किया जाता है या नहीं, ताकि आधुनिकता और प्रशासनिक गोपनीयता के बीच संतुलन कायम रखा जा सके।