नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 6 अगस्त 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस से भारत के तेल आयात पर नाराजगी और टैरिफ बढ़ाने की धमकी पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए रूस से तेल खरीदना एक “राष्ट्रीय आवश्यकता” है, न कि कोई विकल्प। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दो टूक कहा कि भारत आलोचना का पात्र नहीं, क्योंकि वही देश जो भारत को नसीहत दे रहे हैं, खुद रूस से भारी व्यापार कर रहे हैं।
ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदकर उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है, और यूक्रेन युद्ध की पीड़ा को नजरअंदाज कर रहा है। इसके जवाब में भारत ने न केवल ट्रंप के आरोपों को “तथ्यहीन और भ्रामक” बताया, बल्कि यह भी उजागर किया कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, खाद और रसायनों का आयात कर रहा है, जो उसके परमाणु और EV उद्योग के लिए जरूरी हैं।
जब अमेरिकी मीडिया ने व्हाइट हाउस में ट्रंप से पूछा कि क्या अमेरिका अब भी रूस से ऐसे आयात कर रहा है, तो उन्होंने कहा, “मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है, हमें इसकी जांच करनी होगी।” भारत ने ट्रंप की इस “अनभिज्ञता” को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि वैश्विक मंच पर किसी राष्ट्राध्यक्ष का इस तरह से दोहरा व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। विदेश मंत्रालय ने यह भी याद दिलाया कि जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब खुद अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर बना रहे।
भारत ने आंकड़ों के साथ अमेरिका और यूरोपीय संघ के दोहरे मापदंड को उजागर किया। मंत्रालय के मुताबिक, यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो का व्यापार किया, जिसमें 16.5 मिलियन टन LNG शामिल था – यह भारत-रूस व्यापार से कहीं अधिक है। भारत ने साफ किया कि वह अपनी जनता को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने और घरेलू अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए कोई भी जरूरी कदम उठाएगा। इस पूरी बहस ने वैश्विक राजनीति में ऊर्जा को लेकर बने ‘विकल्प बनाम आवश्यकता’ के पुराने विमर्श को एक बार फिर हवा दे दी है।