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पीएम मोदी ने किया ‘कर्तव्य भवन’ का उद्घाटन — 9 मंत्रालयों के लिए एकीकृत प्रशासनिक युग की शुरुआत

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नई दिल्ली । 6 अगस्त 2025 

को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में ‘कर्तव्य भवन’ का उद्घाटन करते हुए एक नए प्रशासनिक युग की शुरुआत की। यह भवन ‘कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट’ के अंतर्गत बनने वाले कुल दस भवनों में से पहला है, जो केंद्र सरकार की मंत्रालय प्रणाली को एकीकृत और अधिक कार्यकुशल बनाने के उद्देश्य से निर्मित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। यह ऐतिहासिक क्षण केवल एक नई इमारत का उद्घाटन नहीं था, बल्कि यह भारत सरकार की लंबे समय से चली आ रही बिखरी हुई प्रशासनिक व्यवस्था को समेकित करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

कर्तव्य भवन-03, जो इस परियोजना का पहला भवन है, अब केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (DoPT), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय जैसे नौ प्रमुख मंत्रालयों का नया ठिकाना होगा। इन मंत्रालयों को अब तक विभिन्न पुरानी और जर्जर इमारतों—जैसे कि शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन—में चलाया जा रहा था, जिन्हें 1950 और 1970 के दशक के बीच बनाया गया था। सरकार के अनुसार, ये पुरानी इमारतें अब संरचनात्मक रूप से अनुपयुक्त और कार्यकुशलता की दृष्टि से असमर्थ हो चुकी थीं। ऐसे में एक संयुक्त, आधुनिक, तकनीकी रूप से उन्नत और पर्यावरण के अनुकूल प्रशासनिक केंद्र की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।

इस समेकन की योजना ‘सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना’ के अंतर्गत तैयार की गई है। इसके अंतर्गत कुल दस ‘कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट’ भवनों का निर्माण प्रस्तावित है, जिनमें से भवन-2 और भवन-3 का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और अगले महीने तक इनके पूरी तरह से चालू होने की संभावना है। वहीं भवन 6 और 7 का कार्य अक्टूबर 2026 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है, जबकि CCS-10 भवन का निर्माण अप्रैल 2026 तक पूरा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), कैबिनेट सचिवालय, इंडिया हाउस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को समाहित करने के लिए एक ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के निर्माण का भी खाका तैयार किया है। इस एन्क्लेव के दूसरे चरण में नए प्रधानमंत्री आवास का भी निर्माण किया जाएगा।

यह परियोजना सिर्फ भौतिक संरचना का विकास नहीं है, बल्कि प्रशासन में पारदर्शिता, दक्षता और तालमेल को बढ़ावा देने का एक दूरदर्शी कदम है। इसके तहत दिल्ली के कुछ पुराने मंत्रालय भवनों को खाली कर, उन्हें नई अस्थायी जगहों पर स्थानांतरित किया जाएगा—जैसे कि कस्तूरबा गांधी मार्ग, मिंटो रोड और नेताजी पैलेस—जहां दो वर्षों के लिए उन्हें स्थापित किया जाएगा, ताकि इस दौरान पुरानी इमारतों का ध्वस्तीकरण और नए भवनों का निर्माण हो सके। हालांकि, कुछ प्रमुख भवनों को संरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है, जिनमें नेशनल म्यूज़ियम, नेशनल आर्काइव्स, जवाहरलाल नेहरू भवन (विदेश मंत्रालय) और डॉ. आंबेडकर ऑडिटोरियम शामिल हैं। हाल ही में बने वाणिज्य भवन (Vanijya Bhawan) को भी यथावत रखा जाएगा।

कर्तव्य भवन का उद्घाटन न केवल भौतिक संरचना का विस्तार है, बल्कि यह नई पीढ़ी की शासन व्यवस्था का प्रतीक भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इसे “कर्तव्यपथ की भावना से जुड़ा एक समर्पण” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह भवन न केवल शासन के स्वरूप को बदलेगा, बल्कि जनता के प्रति जवाबदेही और सेवाभाव की भावना को भी मजबूती देगा। यह उद्घाटन उस नई सोच की पुष्टि करता है जो भारत को एक कुशल, पारदर्शी और आधुनिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

कुल मिलाकर, कर्तव्य भवन का उद्घाटन भारत के प्रशासनिक इतिहास में एक निर्णायक मोड़ है, जहां सरकार केवल ईंट और सीमेंट के ढांचे नहीं बना रही, बल्कि एक ऐसी प्रशासनिक संस्कृति को जन्म दे रही है जो तेज, पारदर्शी और उत्तरदायी हो। जैसे ही यह भवन पूरी तरह कार्यशील होगा, उम्मीद है कि इससे न केवल प्रशासनिक लागत घटेगी बल्कि निर्णय-निर्माण की गति में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी। इस ‘कर्तव्य भवन’ की नींव, एक आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत की नई इमारत की शुरुआत है।

 

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