नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025
देशभर में एथनॉल मिश्रित पेट्रोल के इस्तेमाल को लेकर गाड़ियों के मालिकों में बढ़ती नाराज़गी के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा बयान दिया है। पेट्रोल में 20% तक एथनॉल मिलाने की नीति को लेकर हो रही आलोचना के जवाब में सरकार ने कहा है कि “छोटी-मोटी दिक्कतों” के बावजूद इसका समग्र लाभ देश, पर्यावरण और उपभोक्ताओं के हित में है।
हाल ही में कई कार मालिकों और मैकेनिकों ने शिकायत की है कि एथनॉल मिश्रित ईंधन से वाहनों के इंजन में खराबी, स्टार्टिंग प्रॉब्लम, फ्यूल पाइप में लीकेज और माइलेज में गिरावट जैसे मामले बढ़े हैं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस चल रही है, जिसमें लोग सरकार की योजना पर सवाल उठा रहे हैं।
सरकार का जवाब: ‘फायदे दीर्घकालिक हैं’
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने एथनॉल मिश्रण को बढ़ावा दिया है ताकि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम हो, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटे और किसानों को अतिरिक्त आय मिले।” उन्होंने माना कि कुछ तकनीकी चुनौतियाँ सामने आई हैं, खासकर पुरानी गाड़ियों में, लेकिन ऑटो इंडस्ट्री को पहले ही इसके लिए एडवाइजरी जारी की गई थी।
सरकार ने यह भी कहा कि वाहन निर्माता कंपनियों को विशेष रूप से फ्लेक्स-फ्यूल इंजनों पर काम करने और उपभोक्ताओं को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही एथनॉल के मानकों और गुणवत्ता की निगरानी के लिए नई प्रणाली भी विकसित की जा रही है।
कार मालिकों की चिंता बनी हुई है
हालांकि सरकार की सफाई के बावजूद आम उपभोक्ताओं की चिंता कम नहीं हो रही। कई गाड़ी मालिकों ने मरम्मत लागत बढ़ने और वारंटी को लेकर अनिश्चितता की शिकायत की है। ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक हर गाड़ी एथनॉल मिश्रण को सहन करने के लिए डिज़ाइन नहीं की जाती, तब तक ऐसी समस्याएं आती रहेंगी।
एथनॉल मिश्रित पेट्रोल को लेकर सरकार और उपभोक्ताओं के बीच साफ तौर पर मतभेद उभरकर सामने आए हैं। जहां सरकार इसे ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम मान रही है, वहीं गाड़ियों के मालिक इसके दुष्परिणामों को भुगत रहे हैं। आने वाले समय में इसका समाधान नीति और तकनीकी सुधारों के संतुलन से ही संभव होगा।