नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनके संभावित टैरिफ फैसलों ने वैश्विक आर्थिक माहौल को फिर से अस्थिर कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नई व्यापार नीतियां, विशेष रूप से चीन और भारत जैसे देशों पर संभावित टैरिफ बढ़ोतरी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आगामी ब्याज दर निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं।
ट्रंप द्वारा व्यापार प्रतिबंधों और संरक्षणवाद की दिशा में उठाए गए संभावित कदमों से वैश्विक मुद्रा बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है। रुपये पर दबाव पड़ने की आशंका है, जिससे आरबीआई को ब्याज दर में कटौती करने में हिचकिचाहट हो सकती है, भले ही घरेलू महंगाई धीरे-धीरे काबू में आ रही हो।
निर्यात पर असर, निवेशकों में चिंता
ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत के निर्यात को झटका लग सकता है, विशेष रूप से टेक्सटाइल, फार्मा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में। इससे भारतीय इकॉनमी में पूंजी प्रवाह और व्यापार संतुलन पर असर पड़ सकता है। साथ ही, विदेशी निवेशकों के बीच भी अनिश्चितता बढ़ सकती है, जिससे शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक इस सप्ताह होनी है और अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि वह मुद्रास्फीति और वैश्विक जोखिमों के बीच कैसे संतुलन बनाती है। अगर रुपये पर दबाव बढ़ता है, तो आरबीआई को ब्याज दरें स्थिर रखने या यहां तक कि सख्ती अपनाने की ज़रूरत पड़ सकती है।
ट्रंप की टैरिफ रणनीति भारत की मौद्रिक नीति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है, और आरबीआई को घरेलू आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं पर भी बारीकी से नज़र रखनी होगी। इस स्थिति में रिजर्व बैंक का फैसला भारतीय इकॉनमी की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।