चामराजनगर, कर्नाटक
5 अगस्त 2025
कर्नाटक के चामराजनगर जिले में स्थित एक नवस्थापित मठ के 22 वर्षीय प्रमुख निजलिंग स्वामी को रविवार को मठ से इस्तीफा देना पड़ा। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब उनकी आधार कार्ड जानकारी के जरिए यह बात उजागर हुई कि उन्होंने ‘बसव दीक्षा’ लेने से पहले मुस्लिम धर्म का पालन किया था। कुछ ग्रामीणों ने इसे लेकर आपत्ति जताई, जिसके बाद उन्हें मठ छोड़ने को मजबूर किया गया।
निजलिंग स्वामी ने पांच साल पहले बसव परंपरा को अपनाकर दीक्षा ली थी। उन्होंने TOI से कहा कि उन्होंने कभी भी अपने अतीत को छुपाया नहीं और उनके गुरु व कई अनुयायियों को उनके धर्म परिवर्तन के बारे में पता था। “मैं बसवन्ना के वचनों और शरणा परंपरा का प्रचार कर रहा था। मुझे अपने गुरु की इच्छा से मठ भेजा गया था, जहां मैं पिछले डेढ़ महीने से कार्यरत था,” उन्होंने बताया।
हाल ही में एक किशोर ने उनका आधार कार्ड देखा जिसमें उनका पूर्व नाम दर्ज था। यह बात गांव में फैल गई और उसके बाद एक वर्ग ने उनके खिलाफ माहौल बनाकर उन्हें मठ छोड़ने पर विवश किया।
स्वामी का दर्द
निजलिंग स्वामी ने कहा, “मैंने ‘वचन’ के जरिए भाईचारे का संदेश फैलाने के लिए दीक्षा ली थी। मैं अपने पूर्व धर्म से पूरी तरह कट चुका हूं। मुझे इस बात से पीड़ा हुई कि मुझ पर आरोप लगाया गया कि मैंने अपना धर्म छुपाया, जबकि सच्चाई यह है कि मैंने कभी झूठ नहीं बोला।”
कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं
चामराजनगर की पुलिस अधीक्षक बीटी कविता ने बताया कि इस मामले को लेकर कोई औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
यह मामला कर्नाटक में धर्मांतरण, सामाजिक समरसता और धार्मिक पहचान जैसे विषयों को लेकर गंभीर बहस को जन्म दे रहा है। सामाजिक और धार्मिक संगठनों में इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।
यह घटना न केवल धार्मिक सहिष्णुता की परीक्षा है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या दीक्षा और समर्पण के बाद भी किसी का अतीत उसे सार्वजनिक जीवन से बाहर कर सकता है?