नई दिल्ली
4 अगस्त 2025
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के भीतर मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ सांसद और लोकसभा में चीफ व्हिप कल्याण बनर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा सीधे तौर पर पार्टी की फायरब्रांड नेता और सांसद महुआ मोइत्रा के साथ बढ़ते विवाद का परिणाम माना जा रहा है। सोमवार को इस्तीफा देने से पहले बनर्जी ने सोशल मीडिया पर मोइत्रा पर हमला बोलते हुए उन्हें “असभ्य” और “अपमानजनक भाषा का उपयोग करने वाली” बताया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक पॉडकास्ट में महुआ ने उन्हें “सूअर” से तुलना करते हुए जिस भाषा का प्रयोग किया, वह न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादा की पूरी तरह अवहेलना है।
बनर्जी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि उनका सवाल महुआ की व्यक्तिगत जिंदगी पर नहीं था, बल्कि एक लोकसभा सांसद के रूप में उनके कार्य प्रदर्शन और जवाबदेही को लेकर था। लेकिन जवाब में उन्हें व्यक्तिगत हमलों का सामना करना पड़ा, जिसे वे ‘लोकतंत्र की शर्मनाक स्थिति’ बताते हैं। उन्होंने कहा, “एक पुरुष सांसद को ‘यौन कुंठित’ कह देना कोई साहसिक टिप्पणी नहीं, बल्कि सीधी गाली है।”
TMC के भीतर यह कलह अप्रैल 2025 में तब शुरू हुई थी जब महुआ मोइत्रा का नाम एक पार्टी प्रतिनिधिमंडल में नहीं जोड़ा गया था। उस वक्त संसद परिसर में ही मोइत्रा ने बनर्जी से तीखी बहस की थी और पार्टी सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं के बीच रिश्ते तभी से तनावपूर्ण हैं। इसके बाद बनर्जी ने आरोप लगाया था कि महुआ ने सुरक्षा गार्ड से उन्हें गिरफ्तार करने को कहा था, और वह उन्हें “असभ्य और असहयोगी” बताकर बार-बार व्यक्तिगत टिप्पणियां कर रही हैं।
हालांकि पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह घटना आगामी लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। कल्याण बनर्जी जैसे वरिष्ठ नेता का इस्तीफा संगठन में व्याप्त आंतरिक संघर्ष की ओर इशारा करता है, जिससे ममता बनर्जी की साख और पार्टी की चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत अहम का टकराव नहीं है, बल्कि पार्टी में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच बढ़ती खाई का संकेत भी है। महुआ मोइत्रा जहां युवाओं में लोकप्रिय हैं और आक्रामक राजनीतिक स्टाइल को अपनाती हैं, वहीं कल्याण बनर्जी जैसे नेता संगठन के अनुशासन और पुराने तौर-तरीकों में विश्वास रखते हैं।
अब देखना यह है कि ममता बनर्जी इस विवाद को कैसे सुलझाती हैं, और क्या पार्टी महुआ मोइत्रा के व्यवहार पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी या फिर कल्याण बनर्जी की नाराजगी को ही नजरअंदाज कर देगी। एक ओर जहां यह प्रकरण TMC की अंदरूनी राजनीति को उजागर करता है, वहीं विपक्षी दलों को भी ममता के नेतृत्व पर सवाल उठाने का मौका दे रहा है।