नई दिल्ली । 5 अगस्त 2025
क्या आपने भी कभी तय किया कि कल से सुबह 5 बजे उठना है, लेकिन अलार्म बजने पर उसे स्नूज़ करके फिर सो गए? या फिर रात में बिस्तर पर लेटे-लेटे घंटों मोबाइल देखते रहे और सोते-सोते आधी रात हो गई? अगर हां, तो समझ लीजिए आपकी जीवनशैली में कुछ ऐसा है जो आपको सुबह जल्दी उठने और दिनभर ऊर्जावान बने रहने से रोक रहा है।
आज की भागदौड़ वाली ज़िंदगी में ‘सुबह जल्दी उठना’ एक आदर्श बना दिया गया है। सोशल मीडिया पर हर तीसरा इंफ्लुएंसर आपको बताएगा कि सुबह 4 बजे उठना सफलता की चाबी है। लेकिन सच यह है कि सिर्फ अलार्म लगाकर और वॉच पे टाइम देखकर आप सफल नहीं बनते। असल सफलता तब आती है जब आपकी नींद, खानपान, तनाव स्तर और डिजिटल आदतें संतुलित हों।
हमारे शरीर की अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक होती है – जिसे सर्केडियन रिद्म कहते हैं। जब हम देर रात तक स्क्रीन देखते हैं, कैफीन लेते हैं या भारी खाना खाते हैं, तो यह घड़ी गड़बड़ा जाती है। नतीजा यह होता है कि हमें या तो देर से नींद आती है या बार-बार नींद टूटती है। इसका असर सिर्फ हमारे मूड और एनर्जी लेवल पर नहीं, बल्कि इम्यून सिस्टम, हार्मोन बैलेंस, स्किन हेल्थ और मानसिक स्वास्थ्य तक पर पड़ता है।
अब सवाल उठता है: क्या करें?
सबसे पहले, रात की रूटीन सुधारिए। सोने से एक घंटे पहले मोबाइल, लैपटॉप, टीवी से दूरी बना लें। इस वक्त को ‘स्क्रीन फ्री’ और ‘सॉफ्ट मोड’ बनाएं – यानी धीमा संगीत सुनें, किताब पढ़ें, हल्का स्ट्रेच करें या प्राणायाम करें। दूसरी बात, डिनर को सोने से कम से कम 2 घंटे पहले पूरा कर लें और वह भी हल्का। कैफीन और शुगर वाली चीज़ें शाम के बाद त्याग दें।
एक और महत्वपूर्ण बदलाव – सुबह की धूप लें। सूरज की पहली किरणें न सिर्फ शरीर में विटामिन D बनाती हैं, बल्कि सर्केडियन क्लॉक को रीसेट भी करती हैं। इसका मतलब है कि दिनभर एक्टिव रहने के लिए आपकी जैविक घड़ी सही दिशा में चलने लगेगी।
नींद की बात हो और मेंटल हेल्थ की चर्चा न हो, ये अधूरा ज्ञान होगा। आज की तनावभरी लाइफस्टाइल में बहुत से लोग दिनभर के विचारों को रात में लेकर सोने जाते हैं। इससे दिमाग शांत नहीं हो पाता और नींद आती नहीं। इसके लिए gratitude journaling एक अच्छा उपाय है – हर रात 3 अच्छी चीज़ें लिखिए जो उस दिन हुईं। यह दिमाग को पॉजिटिव दिशा देता है और नींद जल्दी आती है।
सुबह जल्दी उठना कोई मैजिक ट्रिक नहीं, बल्कि एक समग्र जीवनशैली का नतीजा है। यह जीवन की दिशा तय करता है – लेकिन तब, जब शरीर और मन दोनों उस दिशा में तैयार हों। याद रखिए, नींद कोई समय की बर्बादी नहीं, बल्कि एक बायोलॉजिकल इन्वेस्टमेंट है जो आपके हर दिन को बेहतर बना सकती है। इसलिए अपने दिन की शुरुआत अलार्म की घबराहट से नहीं, शरीर और मन की सहजता से कीजिए। जो इंसान अपनी नींद को समझ गया, वो ज़िंदगी को भी गहराई से समझ गया।