नई दिल्ली | 3 अगस्त 2025
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में अवैज्ञानिक और अनियंत्रित खनन से गंभीर पर्यावरणीय संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि इस तरह की खनन गतिविधियां ढलानों को अस्थिर कर रही हैं, जिससे भूस्खलन और चट्टानों के गिरने की घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। यह स्थिति आसपास के गांवों, कृषि भूमि और जल स्रोतों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
प्राकृतिक ढांचे के साथ खिलवाड़
समिति की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “बागेश्वर जिले में स्थायी खनन प्रथाओं के लिए भूवैज्ञानिक आकलन एवं अनुशंसाएं”, 30 जुलाई को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश खदानों में प्राकृतिक ढलानों को सीधी ऊर्ध्वधार कटाई से नुकसान पहुंचाया गया है, और कहीं भी सुरक्षा के लिए आवश्यक बेंचिंग नहीं की गई।
जोशीमठ जैसी स्थिति की आशंका
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि खनन के चलते जल स्रोत सूखने, मिट्टी की नमी समाप्त होने, और गांवों में दरारें पड़ने जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे जोशीमठ जैसी आपदा की पुनरावृत्ति का खतरा मंडराने लगा है।
स्थानीय आजीविका और पारिस्थितिकी पर असर
विशेषज्ञों ने कहा कि खनन से जहां एक ओर स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों और ग्रामीणों की आजीविका भी खतरे में पड़ रही है। जल स्रोतों के सूखने और जमीन की स्थिरता बिगड़ने से खेती प्रभावित हो रही है।
NGT से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
रिपोर्ट में NGT से तत्काल कार्रवाई की सिफारिश करते हुए कहा गया है कि खनन नियमों का सख्त पालन कराया जाए, वैज्ञानिक तरीके से खनन को अनिवार्य किया जाए और सार्वजनिक हित में निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाए।