नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस के ‘एनुअल लीगल कॉन्क्लेव’ में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) और केंद्र सरकार पर जबरदस्त हमला बोलते हुए दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि एक “जनादेश की चोरी” थे। राहुल गांधी ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर कहा, “यह लोकतंत्र अब मर चुका है। चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और षड्यंत्रपूर्ण रही।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास 100% प्रमाण हैं जो यह साबित करते हैं कि 70 से 100 लोकसभा सीटों पर चुनावी गड़बड़ी हुई।
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की लीगल टीम और डेटा एनालिटिक्स विंग ने हजारों बूथों का डेटा खंगाला और यह पाया कि मतदाता सूचियों में दोहराव, फर्जी नामों से पड़े वोट, निष्क्रिय मतदाताओं की ओर से मतदान, और EVM में संदिग्ध आंकड़े – सभी मिलकर एक सुनियोजित चुनावी साजिश की ओर इशारा करते हैं। राहुल गांधी ने इसे संवैधानिक धोखाधड़ी करार देते हुए कहा कि जल्द ही कांग्रेस सबूतों के साथ सामने आएगी।
“एटम बम जैसे सबूत हैं हमारे पास”: राहुल का इशारा या चेतावनी?
अपने भाषण में राहुल गांधी ने खास तौर पर एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक संसदीय क्षेत्र में कुल 6.5 लाख वोट पड़े, जिनमें से 1.5 लाख वोट फर्जी पाए गए। हालांकि उन्होंने क्षेत्र का नाम नहीं बताया, लेकिन कहा कि पार्टी के पास इतने मजबूत दस्तावेज और आंकड़े हैं, कि ये “एटम बम की तरह सत्ताधारी दल की सच्चाई उजागर कर देंगे।” उनका यह बयान राजनीतिक गलियारों में खलबली और कयासों की लहर पैदा कर गया है।
राजनाथ सिंह की सीधी चुनौती: “अगर एटम बम है तो फोड़िए”
राहुल गांधी के इस दावे पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पटना में करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “अगर राहुल गांधी के पास एटम बम है, तो उसे फोड़िए, लेकिन ध्यान रखें कि वो बम कहीं खुद पर ही न गिर जाए।” उनके इस तंज पर सभा में मौजूद लोगों की हँसी छूट गई, लेकिन उनकी टिप्पणी साफ तौर पर कांग्रेस के आरोपों को हवा में उड़ाने वाली थी।
राजनाथ सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, और उस पर लगातार अविश्वास जताना लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख पर हमला है। उन्होंने कहा, “अगर राहुल गांधी के पास सच में कोई ठोस सबूत हैं, तो उन्हें कोर्ट और जनता के सामने रखें। केवल बयानबाज़ी से देश का लोकतंत्र मजबूत नहीं होता।”
NDA बनाम INDIA: सियासी मोर्चे की नई लकीर
राजनाथ सिंह ने बिहार की आगामी विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में विपक्षी गठबंधन INDIA पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि NDA के नेतृत्व में बिहार ने विकास, कानून व्यवस्था और स्थायित्व की ओर कदम बढ़ाया है, जबकि विपक्ष जातिवाद, भ्रष्टाचार और अराजकता की ओर वापस जाना चाहता है। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी जैसे नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं, और चुनाव आयोग को बदनाम कर एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषण: गंभीर आरोप या रणनीतिक जुआ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह “एटम बम” बयान कांग्रेस की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा है। बिहार चुनाव और आगामी राज्य चुनावों से पहले यह बयान विपक्षी गठबंधन को आक्रामक नैरेटिव दे सकता है, बशर्ते राहुल गांधी इन आरोपों को केवल भाषणों तक सीमित न रखें, बल्कि दस्तावेज़ी और कानूनी स्तर पर कदम उठाएं।
अगर कांग्रेस वाकई चुनावी धांधली के ठोस सबूत प्रस्तुत कर पाती है, तो इससे चुनाव आयोग, केंद्र सरकार और भाजपा को जवाबदेह बनाना पड़ सकता है। लेकिन यदि यह सब महज़ राजनीतिक बयानबाज़ी साबित हुई, तो यह कांग्रेस की विश्वसनीयता को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है, और भाजपा इसे “खाली धमकी” करार देकर चुनावी मंचों पर भुना सकती है।
लोकतंत्र सवालों के घेरे में
फिलहाल देश की निगाहें राहुल गांधी की अगली राजनीतिक चाल पर टिकी हैं। क्या वह सचमुच सबूतों के साथ सामने आएंगे? क्या चुनाव आयोग इन आरोपों की जांच करेगा या उन्हें नज़रअंदाज़ करेगा? क्या भाजपा इस चुनौती का जवाब तथ्यों से देगी या राजनीतिक व्यंग्य तक ही सीमित रहेगी। जो भी हो, इतना स्पष्ट है कि यह बहस अब केवल कांग्रेस बनाम भाजपा की नहीं रही — यह बहस भारत के लोकतंत्र, चुनावी पारदर्शिता और संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता की अग्निपरीक्षा बन चुकी है।