बिलासपुर, छत्तीसगढ़, 2 अगस्त 2025
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले की एक विशेष अदालत ने शनिवार को केरल की दो ननों समेत तीन आरोपियों को मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोपों में सशर्त जमानत दे दी। यह जानकारी बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने दी।
क्या है मामला?
इन तीनों को जुलाई 2025 में कथित रूप से आदिवासी युवतियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण और श्रमिक तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि ये महिलाएं केरल के ईसाई मिशनरी संगठन से जुड़ी थीं और झारखंड तथा छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण इलाकों से लड़कियों को अवैध रूप से लेकर जाती थीं।
अदालत का रुख:
यह मामला छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) विशेष अदालत में चल रहा है। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद शनिवार को फैसला सुनाते हुए तीनों को सशर्त जमानत दे दी।
बचाव पक्ष के अनुसार, अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि आरोपी बिना अनुमति के राज्य नहीं छोड़ेंगे, जांच में सहयोग करेंगे और गवाहों से संपर्क नहीं करेंगे।
ईसाई समुदाय की प्रतिक्रिया:
ननों की गिरफ्तारी के बाद देशभर में ईसाई समुदाय में रोष व्याप्त था। 31 जुलाई को हैदराबाद, दिल्ली और अन्य शहरों में ईसाई संगठनों ने गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किए थे। उनका कहना था कि यह कार्रवाई “धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों” का उल्लंघन है।
राजनीतिक और सामाजिक हलचल:
यह मामला धार्मिक रूपांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ में जारी राजनीतिक तनाव के बीच सामने आया है, जहां सरकारें इन मामलों को गंभीरता से ले रही हैं। वहीं मानवाधिकार संगठनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि निर्दोषों के साथ अन्याय न हो।
केरल की दो ननों और एक अन्य व्यक्ति को मिली जमानत से जहां एक ओर उनके समर्थकों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, आदिवासी अधिकार और मानव तस्करी के बीच जटिल बहस का केंद्र बन गया है। मामले की अगली सुनवाई अब बेहद अहम मानी जा रही है।