गुजरात ने जनवरी 2025 में अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रदर्शित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। 16 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने संयुक्त रूप से वडनगर में एक अत्याधुनिक “पुरातात्त्विक अनुभव संग्रहालय” का भव्य उद्घाटन किया। यह न केवल एक संग्रहालय है, बल्कि यह गुजरात के 2,500 वर्षों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत विकास की जीवंत यात्रा को प्रस्तुत करने वाला एक विशाल सांस्कृतिक केंद्र है।
यह संग्रहालय 12,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो आधुनिक डिज़ाइन, डिजिटल तकनीक और पारंपरिक शिल्पकला का उत्कृष्ट संगम प्रस्तुत करता है। इसमें 5,000 से अधिक दुर्लभ मूर्तियां, शिलालेख, मिट्टी के पात्र, बौद्ध और हिन्दू प्रभावों से जुड़ी वस्तुएं और शाही स्थापत्य से संबंधित सामग्री प्रदर्शित की गई हैं। संग्रहालय की सबसे खास बात इसकी थीमेटिक गैलरीज़ हैं, जो वडनगर के ऐतिहासिक उत्खननों, सांस्कृतिक हस्तांतरण, व्यापारिक मार्गों और बौद्ध तीर्थयात्राओं की कहानियों को रोशनी में लाती हैं।
इस संग्रहालय का निर्माण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), संस्कृति मंत्रालय और गुजरात पर्यटन विभाग के संयुक्त प्रयास से हुआ है। इसमें इंटरैक्टिव डिस्प्ले, वर्चुअल रिएलिटी अनुभव, और मल्टीमीडिया शो जैसी आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है, जिससे यह स्थान केवल इतिहास प्रेमियों ही नहीं, बल्कि छात्रों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है।
उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वडनगर को एक “धरोहर नगरी” बताते हुए कहा कि यह संग्रहालय भारत की ‘संस्कृति चेतना‘ को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक पथप्रदर्शक प्रयास है। उन्होंने वडनगर के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह नगर न केवल प्राचीन व्यापार मार्गों का हिस्सा था, बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और धर्म का भी केंद्र रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसे गुजरात की पर्यटन नीति 2025 के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और कहा कि यह संग्रहालय न केवल स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देगा, बल्कि गुजरात को वैश्विक सांस्कृतिक पर्यटन नक्शे पर भी और मजबूत करेगा।
जनवरी के अंत से यह संग्रहालय आम जनता के लिए खोल दिया गया है। तब से अब तक बड़ी संख्या में छात्रों, इतिहासकारों, शोधकर्ताओं, और विदेशी पर्यटकों ने इसे देखा है। इसके पास ही विकसित किए जा रहे हेरिटेज ट्रेल, कला केंद्र, बौद्ध स्थलों के पुनर्संरचना कार्य, और स्थानीय हस्तशिल्प बाजार जैसे प्रोजेक्ट इस स्थान को एक कला-संस्कृति कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
यह संग्रहालय वडनगर को न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक पहचान का गर्वपूर्ण प्रतिनिधि बनाता है। यह एक ऐसा स्थल है जो अतीत की जड़ों को छूते हुए भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा — और यही इस परियोजना की सबसे बड़ी सफलता है।