जनवरी 2025 में महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL), जिसे आमतौर पर “महावितरण” के नाम से जाना जाता है, एक नकली भर्ती घोटाले का अप्रत्याशित केंद्र बन गया। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर तेजी से वायरल हो रहे फर्जी भर्ती विज्ञापनों के ज़रिए दर्जनों बेरोजगार युवाओं से ₹5,000 से ₹50,000 तक की रकम अवैध रूप से वसूली गई, जिनमें कई ने तो अपनी बचत या उधार लेकर यह “फॉर्म फीस” भरी थी।
इन फर्जी विज्ञापनों में MSEDCL के नाम और लोगो का दुरुपयोग कर लुभावनी नौकरियों की पेशकश, परीक्षा की तारीखें, साक्षात्कार के विवरण और यहां तक कि नियुक्ति पत्रों तक की बात की गई थी। जैसे ही शिकायतों की बाढ़ आई, MSEDCL ने तत्काल एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसी कोई भर्ती प्रक्रिया चालू नहीं की है और वायरल हो रही सभी सूचनाएँ पूरी तरह से झूठी और भ्रामक हैं।
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद राज्य साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अज्ञात साइबर जालसाजों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रैकेट न केवल महाराष्ट्र तक सीमित है, बल्कि इसके तार उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। फिलहाल कुछ बैंक खातों को फ्रीज़ किया गया है और डिजिटल सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं।
यह मामला सिर्फ एक भर्ती घोटाला नहीं है, बल्कि यह देश के लाखों युवाओं की मजबूरी, उम्मीद और डिजिटल दुनिया में उनके भरोसे के साथ किया गया एक अमानवीय छलावा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि साइबर अपराध अब केवल तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक शोषण का भी रूप ले चुके हैं।
MSEDCL और पुलिस प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि सरकारी भर्तियों की जानकारी केवल अधिकृत पोर्टल्स जैसे www.mahadiscom.in या mahasarkar.mahaonline.gov.in पर ही देखें, और किसी भी अनौपचारिक लिंक या संदेश पर विश्वास न करें। साथ ही, जागरूकता अभियानों को स्कूलों, कॉलेजों और प्रशिक्षण संस्थानों तक ले जाने की योजना भी बनाई जा रही है ताकि भविष्य में कोई युवा ऐसी ठगी का शिकार न हो।
यह घटना हमें सतर्क रहने, डिजिटल जानकारी को सावधानी से समझने और अपने करियर के फैसलों में जानकारीपूर्ण निर्णय लेने की सीख देती है। क्योंकि फर्जी नौकरियों की यह दुनिया आज केवल पैसों से नहीं, भविष्य और आत्मसम्मान की कीमत वसूल रही है।