Home » West Bengal » ‘ऐ रात तोमार आमार’: एक रात, एक रिश्ता, और जीवन की गहराइयों से भरी भावनात्मक यात्रा

‘ऐ रात तोमार आमार’: एक रात, एक रिश्ता, और जीवन की गहराइयों से भरी भावनात्मक यात्रा

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

31 जनवरी 2025 को जब कोलकाता के सिनेमाघरों में बंगाली फिल्म ऐ रात तोमार आमाररिलीज़ हुई, तो यह केवल एक फ़िल्म नहीं थी, बल्कि संवेदनाओं की एक अनकही कविता बन गई। परमब्रत चटर्जी के निर्देशन में बनी इस मार्मिक कहानी ने दर्शकों के दिल को छू लिया न केवल अपने गहन विषयवस्तु के कारण, बल्कि उस आत्मीयता के लिए जिससे यह रिश्तों, बीमारी और आत्मस्वीकृति के पहलुओं को परदे पर जीवंत करती है। 

फिल्म कैंसर जैसे गंभीर विषय को एक नरम, मानवीय और कलात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। यह दिखाती है कि जब जीवन की उलझनों और शारीरिक चुनौतियों के बीच दो लोग एक-दूसरे की उपस्थिति में सुकून तलाशते हैं, तो हर रात एक नई उम्मीद बन जाती है। इसका स्क्रीनप्ले धीमी गति में बहता है ठीक वैसे ही जैसे किसी उदास बारिश की रात में शब्द बिना बोले कह जाते हैं। फिल्म में संवाद कम हैं, लेकिन खामोशियाँ गूंजती हैं। 

परमब्रत चटर्जी का निर्देशन बेहद सूक्ष्म और अनुभवी है, और उन्होंने दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में पहुँचाया जहाँ रिश्ते असमाप्त वाक्यों की तरह होते हैंजिन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है। मुख्य कलाकारों की अदाकारी में ऐसा अपनापन और सच्चाई है कि फिल्म सिनेमाघर से बाहर निकलने के बाद भी दिल में बनी रहती है। 

ऐ रात तोमार आमारकेवल एक कैंसर पीड़ित की कहानी नहीं, बल्कि हर उस इंसान की कहानी है जो भीतर से टूटा है, मगर किसी की मौजूदगी में फिर से खुद को जोड़ना चाहता है। यह बंगाली सिनेमा की उस परंपरा को और आगे बढ़ाती है, जहाँ मनोरंजन के साथ-साथ समाज के जटिल और गूढ़ विषयों पर भी संवेदनशील रचनात्मकता दिखाई जाती है। 

31 जनवरी 2025 को रिलीज़ यह फिल्म दर्शकों के लिए एक भावनात्मक आईना बन गई जिसमें उन्होंने खुद को, अपने अपनों को और अपने खोए हुए लम्हों को देखा। यह फिल्म न केवल एक कलात्मक उपलब्धि है, बल्कि बंगाल के सांस्कृतिक मानस में एक मौन, लेकिन अनंत गूंज छोड़ने वाली रचना बन गई है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *