28 और 29 जनवरी 2025 को ओडिशा ने देश और दुनिया को दिखा दिया कि वह केवल सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का केंद्र ही नहीं, बल्कि नवीन निवेश और औद्योगिक उन्नति का नया गढ़ भी बन सकता है। राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित ‘उत्कर्ष ओडिशा – मेक इन ओडिशा‘ निवेश सम्मेलन का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसमें उनके संबोधन ने ओडिशा की भौगोलिक स्थिति, युवा जनसंख्या और खनिज संपदा को वैश्विक निवेशकों के लिए एक अभूतपूर्व अवसर बताया। यह दो दिवसीय सम्मेलन ₹44,682 करोड़ के प्रस्तावित निवेशों को लेकर आया, जिसका दीर्घकालीन लक्ष्य ₹2.5 ट्रिलियन (2.5 लाख करोड़ रुपये) का कुल निवेश प्राप्त करना है — जो कि राज्य के आर्थिक भविष्य को नई दिशा दे सकता है।
सम्मेलन में भाग लेने वालों की सूची अपने आप में एक वैश्विक मंच की झलक थी। रेडिट और विभिन्न स्रोतों के अनुसार, 12 देशों के निवेशक, 5000 से अधिक प्रतिनिधि, और देश-विदेश के नामचीन उद्योगपति इस आयोजन में शामिल हुए। ऊर्जा, खनन, कृषि-प्रसंस्करण, टेक्सटाइल, रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अनेक करार और समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह स्पष्ट संकेत था कि ओडिशा अब “पिछड़े राज्य” की छवि से बाहर निकलकर भारत के निवेश नक्शे पर निर्णायक उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है।
राज्य सरकार ने इस सम्मेलन को केवल एक कॉर्पोरेट आयोजन न मानकर, एक समावेशी आर्थिक अभियान का रूप दिया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि इन निवेशों का प्राथमिक उद्देश्य स्थानीय युवाओं को रोजगार देना, क्षेत्रीय असमानताओं को मिटाना, और राज्य के पिछड़े जिलों तक आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करना है। कई प्रस्तावित परियोजनाएँ आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में लगाई जाएँगी, जिससे स्मार्ट इनफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ सामाजिक पुनरुत्थान का भी द्वार खुलेगा।
‘उत्कर्ष ओडिशा’ केवल पूंजी प्रवाह तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें प्रशासनिक सुधारों, उद्योग अनुकूल नीतियों और “Ease of Doing Business” को बेहतर बनाने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। राज्य ने उद्योगपतियों को आश्वासन दिया कि उनके निवेशों को प्रशासनिक पारदर्शिता, समयबद्ध अनुमतियाँ और स्थिर नीतिगत वातावरण के माध्यम से पूरी सुरक्षा दी जाएगी। साथ ही, नवाचार और स्टार्टअप के लिए विशेष खंड भी प्रस्तुत किए गए, जो ओडिशा के युवाओं के सपनों को नई उड़ान देंगे।
यह सम्मेलन ओडिशा की उस छवि को फिर से गढ़ने की कोशिश थी, जहाँ एक ओर पुरी के मंदिरों और कोणार्क की मूर्तिकला है, वहीं दूसरी ओर स्टील प्लांट्स, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल इनोवेशन हब की नींव भी मजबूती से रखी जा रही है। 28–29 जनवरी 2025 को आयोजित यह शिखर सम्मेलन भारत की पूर्वी अर्थव्यवस्था को सक्रिय बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ, जिससे आने वाले वर्षों में न केवल ओडिशा का चेहरा बदलेगा, बल्कि देश की विकास धारा में एक नया पूर्वोन्मुख संतुलन भी स्थापित होगा।