18 जनवरी 2025 को झारखंड की राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य की आंतरिक सुरक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। बैठक में “पुलिस पुरस्कृत नीति” (Police Reward Policy) को मंजूरी दी गई, जिसके तहत राज्य में सक्रिय खतरनाक अपराधियों, विशेष रूप से वांछित नक्सलियों और माफिया गिरोहों के सरगनाओं की गिरफ्तारी पर ₹2 लाख से लेकर ₹30 लाख तक की इनामी राशि निर्धारित की गई है। इस नीति का उद्देश्य यह है कि पुलिस कर्मियों और मुखबिरों को आर्थिक प्रोत्साहन देकर उन्हें अधिक प्रेरित और सक्षम बनाया जाए, ताकि वे न केवल अपराधियों की धरपकड़ में तत्पर रहें, बल्कि गुप्त सूचना तंत्र को भी मज़बूती दी जा सके।
नई नीति के अनुसार, इनामी राशि की श्रेणी अपराध की प्रकृति, आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि और समाज पर उसके प्रभाव के आधार पर तय की जाएगी। विशेष रूप से जिन अपराधियों पर हत्या, फिरौती, नक्सली गतिविधियों, अवैध हथियार तस्करी, संगठित अपराध या आतंकी नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप हैं, उनके लिए इनाम की राशि सबसे ऊँची श्रेणी में रखी गई है। यह नीति झारखंड जैसे राज्य में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ लंबे समय से कुछ क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियाँ और संगठित अपराध की समस्या बनी हुई है। अब इस आर्थिक प्रोत्साहन से पुलिस और सुरक्षाबल अधिक आक्रामक और योजनाबद्ध कार्रवाई कर सकेंगे।
इस बैठक में केवल सुरक्षा से जुड़ी नीतियाँ ही नहीं, बल्कि राज्य के विकास और लोककल्याण से जुड़े महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसले भी लिए गए। झारखंड सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए कुछ नए भत्तों और सुविधाओं की घोषणा की, जिससे उनकी कार्य-प्रेरणा और सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके साथ-साथ “शिक्षा-संकल्प” नामक एक नई पहल को भी स्वीकृति दी गई, जो झारखंड के ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने का लक्ष्य रखती है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों में अधोसंरचना सुधार, शिक्षकों के प्रशिक्षण और डिजिटल सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
इन सभी निर्णयों से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार सुरक्षा, विकास और सामाजिक कल्याण को एक साथ संतुलित रूप से आगे बढ़ा रही है। जहां एक ओर अपराध और अराजकता पर सख़्ती से नियंत्रण का इरादा है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों और विद्यार्थियों के हितों का भी ध्यान रखा जा रहा है। 18 जनवरी 2025 को लिया गया यह कैबिनेट निर्णय, झारखंड की प्रशासनिक दिशा और उसकी जन-केंद्रित शासन प्रणाली की स्पष्ट झलक देता है — जिसमें सुरक्षा और सेवा दोनों को प्राथमिकता दी गई है।