24 जनवरी 2025 को बिहार में मौसम विभाग की चेतावनियों और लगातार गिरते तापमान को देखते हुए प्रशासन ने जनहित में बड़ा फैसला लिया। पटना समेत राज्य के कई ज़िलों में जब न्यूनतम तापमान 4°C तक पहुँच गया, तब शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 8 तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को 25 जनवरी तक बंद रखने का आदेश जारी कर दिया। यह निर्णय छात्रों के स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया, खासकर तब जब सुबह की पाली में बच्चे कंपकंपाती ठंड में स्कूल जाने को मजबूर थे।
पटना, नालंदा, गया, समस्तीपुर और वैशाली जैसे जिलों में सुबह का कोहरा इतना घना हो गया था कि दृश्यता महज़ 10–20 मीटर रह गई थी। ऐसी परिस्थितियों में बच्चों का आवागमन खतरनाक हो सकता था, और प्रशासन ने पहले ही आशंका जताई थी कि ठंड की वजह से बच्चों में निमोनिया, वायरल बुखार और श्वसन संबंधी समस्याओं की शिकायतें बढ़ सकती हैं। जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार, अस्थायी अवकाश का निर्णय ‘एहतियात और संवेदनशीलता’ का उदाहरण है, जिसे अभिभावकों और शिक्षकों ने भी समर्थन दिया।
शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह निर्णय समय पर राहत बनकर सामने आया, क्योंकि वहाँ अभी भी अनेक बच्चे खुले या आंशिक रूप से बंद स्कूलों में पढ़ते हैं, जहाँ हीटर या ऊष्मा-नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती। स्कूलों के बंद रहने से न केवल बच्चों को राहत मिली, बल्कि माता-पिता को भी यह भरोसा मिला कि सरकार उनके बच्चों की सेहत को लेकर गंभीर है।
इस प्रकार 24 जनवरी का यह फैसला न केवल मौसम की मार झेलते बिहार के बच्चों के लिए एक सुरक्षा कवच बना, बल्कि यह भी दिखाया कि प्रशासन कभी-कभी पढ़ाई से अधिक ज़रूरी ज़िंदगी और स्वास्थ्य को मानता है। यदि ऐसे निर्णय समय पर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिए जाएँ, तो मौसम आपदाओं के बीच भी जनजीवन को संतुलित और सुरक्षित रखा जा सकता है।