Home » Women » राम्या को धमकियाँ – अब महिलाएं चुप नहीं रहेंगी

राम्या को धमकियाँ – अब महिलाएं चुप नहीं रहेंगी

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

नई दिल्ली, 30 जुलाई

जब किसी महिला को उसके विचार रखने के कारण गालियाँ, धमकियाँ और यौन हिंसा की धमकी दी जाती है, तो यह केवल उस महिला पर हमला नहीं होता – यह लोकतंत्र, कानून और पूरे समाज के चेहरे पर तमाचा होता है। कन्नड़ अभिनेत्री और पूर्व सांसद राम्या उर्फ दिव्या स्पंदना को सोशल मीडिया पर दी जा रही धमकियाँ कोई मामूली घटना नहीं है। यह उस गहरी सड़ांध की निशानी है जो हमारी डिजिटल सोच में घर कर चुकी है, जिसमें एक महिला की स्वतंत्रता को उसका अपराध मान लिया गया है।

राम्या ने केवल यह कहा कि “अपराधी चाहे सेलिब्रिटी हो या सामान्य नागरिक, कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए”। यह बयान न तो आपत्तिजनक था, न व्यक्तिगत। यह भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट की भावना के अनुरूप था। फिर भी उन्हें गालियों, रेप की धमकियों और अश्लील मैसेज से निशाना बनाया गया। यह किस तरह की सोच है जो एक महिला के विचार को बर्दाश्त नहीं कर सकती? यह कैसा समाज है जहां बोलने की आज़ादी का अधिकार केवल पुरुषों या उनके समर्थकों के लिए आरक्षित माना जाता है?

यह घटना हमें दोबारा यह सोचने पर मजबूर करती है कि सोशल मीडिया किस हद तक महिलाओं के लिए असुरक्षित हो चुका है। राम्या का यह कहना एकदम सही है कि जब एक पूर्व सांसद और मशहूर अभिनेत्री को यह सब झेलना पड़ रहा है, तो आम महिलाओं की स्थिति की कल्पना भी डरावनी है। हम बार-बार यह सुनते हैं कि “महिलाओं को अपनी बात कहनी चाहिए”, लेकिन जब वे ऐसा करती हैं, तो उन्हें “खामोश रहने” के लिए धमकाया जाता है।

यह सिर्फ ट्रोलिंग नहीं, यह डिजिटल आतंकवाद है – एक ऐसा हिंसक औज़ार जो विचारशील, स्वतंत्र और मुखर महिलाओं को डराकर चुप कराने की कोशिश करता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि यह सब अक्सर लोकप्रिय चेहरों के नाम पर, उनके फॉलोअर्स द्वारा और कभी-कभी उनके मौन समर्थन से होता है। क्या अभिनेता दर्शन इस पूरे मामले पर चुप रहकर इन धमकियों को अप्रत्यक्ष समर्थन नहीं दे रहे? राम्या ने बिल्कुल ठीक किया कि उन्होंने दर्शन से सार्वजनिक अपील की – यह समय की मांग है कि हर सेलिब्रिटी, हर नेता अपने समर्थकों को कानून, मर्यादा और गरिमा का पालन करने के लिए कहे।

हमें यह भी समझना होगा कि यह सिर्फ “एक केस” नहीं है। यह भारत की उन लाखों महिलाओं की लड़ाई है जो ऑनलाइन अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं – लेखिका, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता, छात्राएँ और साधारण गृहणियाँ तक। वे सभी इस ऑनलाइन हिंसा का शिकार हैं। उनके खिलाफ यह डिजिटल हमले उनके विचारों को कुचलने, उनकी उपस्थिति को मिटाने और उनके आत्मबल को तोड़ने के लिए होते हैं।

कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने इस मामले में जो सक्रियता दिखाई है, वह सराहनीय है। लेकिन यह एक केस सुलझाने से कहीं आगे की बात है। यह एक संस्थागत सुधार की मांग करता है। हमें कड़े साइबर कानूनों की जरूरत है, तेज़ और प्रभावशाली साइबर जांच एजेंसियों की जरूरत है, और सबसे अहम – सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है।

राम्या की आवाज एक अकेली आवाज नहीं है, वह एक प्रतीक बन गई है। उनकी हिम्मत उन तमाम महिलाओं को प्रेरणा देती है जो आज चुप हैं, लेकिन कल बोलने के लिए तैयार होंगी – क्योंकि अब डर के आगे मौन नहीं, प्रतिकार होगा।

इस लेख के माध्यम से हम मांग करते हैं:

  1. पुलिस 43 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर त्वरित FIR दर्ज कर कार्रवाई करे।
  2. दर्शन जैसे सेलिब्रिटीज़ अपने समर्थकों को संयम और सम्मान की सार्वजनिक अपील करें।
  3. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर महिलाओं को ऑनलाइन हिंसा से बचाने के लिए संयुक्त नीति तैयार करें।
  4. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से महिला विरोधी कंटेंट के लिए ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू हो।

जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक हर राम्या खतरे में है। लेकिन इस बार महिलाएं चुप नहीं रहेंगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *