21वीं सदी की आधुनिक जीवनशैली और खुलते सामाजिक संवादों के बीच, अब ऐसे विषयों पर भी बात होना ज़रूरी है जिन्हें अक्सर समाज में वर्जित माना जाता रहा है। ऐनल सेक्स (Anal Sex) एक ऐसा ही विषय है — जिसे लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा भी है, भ्रम भी, और कई बार डर भी। यह लेख वैज्ञानिक, सामाजिक और नैतिक सभी दृष्टिकोणों से इस विषय को समझने की कोशिश करता है।
पहला और सबसे अहम सवाल: सही या गलत?
‘सही’ या ‘गलत’ का निर्धारण किसी भी शारीरिक संबंध के मामले में कानून, आपसी सहमति, और स्वास्थ्य जोखिम के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि केवल परंपरा या संकोच के आधार पर।
यदि दो सहमति देने वाले वयस्क इस क्रिया को सुरक्षित, स्वच्छ और सम्मानजनक तरीके से करते हैं, तो इसे गैरकानूनी या अनैतिक नहीं कहा जा सकता।
लेकिन यदि इसमें कोई जबरदस्ती, दबाव या अस्वस्थ तरीका अपनाया गया, तो यह शोषण और स्वास्थ्य जोखिम दोनों बन सकता है।
–क्या हैं संभावित जोखिम?
चूंकि गुदा का क्षेत्र स्वाभाविक रूप से यौन प्रवेश के लिए डिज़ाइन नहीं है, इसलिए इसमें सावधानी अधिक आवश्यक है।
1. चोट और जलन: गुदा क्षेत्र में लुब्रिकेशन (चिकनाहट) स्वाभाविक रूप से बहुत कम होता है, जिससे बिना उचित तैयारी के चोट लग सकती है।
2. संक्रमण (Infections): HIV, हर्पीज़, हेपेटाइटिस B व C और अन्य STDs का ख़तरा ऐनल सेक्स के ज़रिए ज़्यादा होता है।
3. फिस्चर और बवासीर: बार-बार की गई असावधानीपूर्ण क्रिया से पाचन तंत्र में समस्याएँ हो सकती हैं
क्या हैं जरूरी सावधानियाँ?
1. आपसी सहमति: किसी भी यौन क्रिया की शुरुआत बिना दबाव के आपसी सहमति से होनी चाहिए। यदि कोई असहज महसूस करे, तो तुरंत रुक जाएं।
2. साफ़-सफाई: ऐनल सेक्स से पहले और बाद में साफ़-सफाई अत्यंत आवश्यक है। दस्ताने या कंडोम का प्रयोग करना भी फायदेमंद होता है।
3. सही लुब्रिकेशन: किसी भी चोट या जलन से बचने के लिए वाटर-बेस्ड लुब्रिकेंट का प्रयोग करें।
4. धीरे और धैर्य से: यह प्रक्रिया संवेदनशील होती है, इसलिए जल्दबाज़ी या आक्रामकता नुकसान पहुंचा सकती है।
5. डबल प्रोटेक्शन न अपनाएं: एक ही कंडोम को ऐनल और वजाइनल सेक्स में बिलकुल न इस्तेमाल करें, इससे संक्रमण का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है।
6. मानसिक तैयारी: सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक रूप से भी सहज होना ज़रूरी है।
क्या कहता है भारतीय कानून?
भारत में धारा 377 को 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, जिससे अब सहमति से किया गया ऐनल सेक्स वयस्कों के बीच अपराध नहीं है। लेकिन यदि यह सहमति के बिना या किसी नाबालिग के साथ होता है, तो यह सख्त दंडनीय अपराध है।
समाज में स्वीकृति और समझ
यह विषय LGBTQ+ समुदाय के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, जहाँ ऐनल सेक्स एक सामान्य अंतरंगता का हिस्सा हो सकता है। इसलिए समझ, शिक्षा और जागरूकता की बेहद आवश्यकता है, न कि केवल चुप्पी या उपहास की।
शरीर का सम्मान, रिश्ते की समझ
सेक्सुअल लाइफ का कोई भी पहलू तभी ‘सही’ कहा जा सकता है जब उसमें दोनों पक्षों की सहमति, भावनात्मक जुड़ाव, और शारीरिक सुरक्षा शामिल हो। ऐनल सेक्स भी तभी एक स्वस्थ अनुभव बन सकता है जब उसके साथ संवेदनशीलता, जानकारी और जिम्मेदारी जुड़ी हो।