— शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ मानव भूमिका को सुरक्षित रखने की पहल
24 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया गया। यह दिन भारत में शिक्षा के महत्व और उसके निरंतर विकास को समर्पित है। इस वर्ष का थीम — “AI & Education: Preserving Human Agency” — आधुनिक तकनीकी युग में शिक्षा की दिशा को पुनः परिभाषित करने वाला था। इस थीम के माध्यम से भारत ने वैश्विक शिक्षा मंच पर यह संदेश दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपनाना जरूरी है, लेकिन उसके साथ-साथ मानव-संवेदनशीलता, सोचने-समझने की क्षमता, और नैतिक निर्णय की भूमिका को कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
थीम की गहराई: ‘Preserving Human Agency’ क्या दर्शाता है?
इस वर्ष की थीम “Preserving Human Agency” का तात्पर्य यह था कि शिक्षा का केंद्रबिंदु हमेशा छात्र की स्वतंत्र सोच, रचनात्मकता, और आत्मनिर्णय की क्षमता बनी रहनी चाहिए। AI के बढ़ते उपयोग से शिक्षा अधिक सुलभ और व्यक्तिगत तो हो रही है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मशीनों के भरोसे मानवीय मूल्यों और शिक्षण की आत्मा को न खो दिया जाए।
कार्यक्रम और पहलें:
स्कूलों, कॉलेजों, और विश्वविद्यालयों में विशेष चर्चाएं, संगोष्ठियाँ और वर्कशॉप आयोजित की गईं, जहां AI के फायदों के साथ-साथ उसके खतरे भी छात्रों और शिक्षकों को समझाए गए।
शिक्षा मंत्रालय ने ‘AI In Classroom Guidelines’ के एक ड्राफ्ट संस्करण को जारी करने की घोषणा की, जिसमें AI के उपयोग को सीमित रूप से और मार्गदर्शित रूप में लाने की बात की गई।
NCERT, CBSE और राज्य शिक्षा बोर्डों ने इस अवसर पर AI और नैतिक शिक्षा के संतुलन पर आधारित डिजिटल सामग्री का प्रदर्शन किया।
शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं की राय:
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “AI को शिक्षक का स्थान नहीं बल्कि सहयोगी के रूप में देखा जाना चाहिए।”
AI विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने चेताया कि बगैर नियंत्रण के AI-निर्भर शिक्षा छात्रों को सोचने और प्रश्न पूछने से दूर कर सकती है, जो कि शिक्षा की आत्मा है।
भारत की भूमिका वैश्विक संदर्भ में:
भारत ने इस दिवस पर वैश्विक शिक्षा समुदाय को यह दिखाया कि वह तकनीकी समावेशन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, लेकिन मानव संवेदना को केंद्र में रखकर। यह दृष्टिकोण OECD, UNESCO, और World Bank जैसे संगठनों की उन चिंताओं के अनुरूप है जो AI की अंधाधुंध शिक्षा-व्यवस्था में घुसपैठ पर चिंता जता चुके हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025 एक ऐसा अवसर बना जिसने यह सिद्ध किया कि भारत शिक्षा में तकनीक को अपनाने के लिए तैयार है, लेकिन बिना मानवीय चेतना और स्वतंत्र सोच की कीमत चुकाए। “AI & Education: Preserving Human Agency” न केवल एक थीम थी, बल्कि एक दिशा थी — जहां तकनीक और तर्क साथ चलें, लेकिन नेतृत्व हमेशा मानवता का रहे।