4–6 जुलाई 2025 को ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति भारत की वैश्विक भूमिका को नई ऊंचाई पर ले गई। BRICS — जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं — का यह सम्मेलन अब एक पुराने आर्थिक मंच से अधिक, एक राजनीतिक, तकनीकी और वैकल्पिक विश्व नेतृत्व का संकेत बन चुका है। इस बार भारत की प्राथमिकता थी — वैश्विक दक्षिण के लिए निष्पक्ष वित्तीय प्रणाली, वैश्विक संस्थानों में पुनर्संतुलन, और तकनीकी समावेशन।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा: “BRICS अब केवल पांच देशों का समूह नहीं, बल्कि 50 से अधिक विकासशील देशों की आवाज़ बन चुका है।” यह वक्तव्य बताता है कि भारत अब खुद को सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक नीति निर्धारण का सक्रिय मार्गदर्शक मानता है।
वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था की ओर कदम: डॉलर निर्भरता घटाने की पहल
ब्राज़ील सम्मेलन की सबसे बड़ी आर्थिक उपलब्धि थी — BRICS के भीतर स्थानीय करेंसी आधारित व्यापार तंत्र (Local Currency Trade Mechanism) पर गंभीर बातचीत और रणनीतिक सहमति। भारत, ब्राज़ील और रूस ने इस पहल को आगे बढ़ाते हुए USD के एकाधिकार को चुनौती देने की दिशा में मजबूत कदम उठाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के डिजिटल भुगतान (UPI), रूपे कार्ड, और डिज़िटल रुपया के सफल उदाहरण साझा करते हुए प्रस्ताव दिया कि BRICS देशों को एक साझा डिजिटल भुगतान गेटवे विकसित करना चाहिए, जिससे व्यापार पारदर्शी, तीव्र और सस्ता हो सके। यह प्रस्ताव ब्रिक्स ब्लॉक के भीतर डिजिटल इकोनॉमी और फिनटेक सहयोग को नया विस्तार देने वाला माना जा रहा है।
भू-राजनीतिक संतुलन और वैश्विक शांति पर भारत का दृष्टिकोण
इस वर्ष BRICS शिखर सम्मेलन की थीम थी: “Inclusion, Sovereignty and Sustainable Development”। वैश्विक शक्ति संघर्ष — जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका प्रतिस्पर्धा और इजराइल-गाजा संघर्ष — की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी का संदेश स्पष्ट था: “Global South को अब खुद के लिए खड़ा होना होगा, अपनी प्राथमिकताओं को सामने रखना होगा, और अपने समाधान खुद तय करने होंगे।”
भारत ने BRICS शांति मंच (Peace Dialogue Cell) के गठन का सुझाव भी दिया, जो संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में गैर-सैन्य, मानवीय समाधान की दिशा में काम करेगा। यह प्रस्ताव BRICS को एक शांतिपूर्ण कूटनीतिक मंच के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम मील का पत्थर हो सकता है।
टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और जलवायु नेतृत्व: भारत की अग्रणी भूमिका
सम्मेलन में भारत की ओर से ग्रीन एनर्जी, स्टार्टअप सहयोग, और क्लाइमेट टेक्नोलॉजी पर विशेष फोकस रहा। भारत ने “BRICS Innovation Hub” स्थापित करने का प्रस्ताव दिया, जिसमें सदस्य देशों के स्टार्टअप्स, क्लाइमेट टेक कंपनियों, और रिसर्च संस्थानों को आपस में जोड़ा जाएगा। यह हब क्लीन टेक्नोलॉजी, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, और अफ्रीका/लैटिन अमेरिका में टेक ट्रांसफर को लेकर काम करेगा।
जलवायु नेतृत्व के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने LiFE (Lifestyle for Environment) अभियान का जिक्र किया, जो पहले ही G20 में वैश्विक समर्थन पा चुका है। अब BRICS में इसके प्रसार से भारत एक बार फिर सस्टेनेबिलिटी आंदोलन का वैकल्पिक सूत्रधार बनता दिख रहा है।
BRICS 2025 में भारत का संदेश – शक्ति नहीं, साझेदारी चाहिए
ब्राज़ील में आयोजित यह शिखर सम्मेलन सिर्फ राजनयिक संवाद नहीं, बल्कि विश्व व्यवस्था में एक वैकल्पिक विचार की स्थापनाकारी घटना रही। भारत ने यह साफ कर दिया कि वह अब महाशक्ति की दौड़ में हिस्सा लेने नहीं, बल्कि “विकास की लोकतांत्रिक राह” पर वैश्विक दक्षिण के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता है।
PM मोदी की इस यात्रा ने न केवल भारत को वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से भर दिया, बल्कि BRICS जैसे समूह को एक नया आदर्शवाद और यथार्थवाद का संतुलन दिया है — जहां साझेदारी, तकनीक, विश्वास और समानता पर आधारित भविष्य की नींव रखी जा रही है।