नई दिल्ली 27 जुलाई 2025- भारत और चीन के बीच संबंधों में एक नई शुरुआत के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है—यह कहना है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का। उन्होंने शनिवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में वीज़ा नियमों में ढील और अन्य बातचीत की पहल से एक सकारात्मक माहौल बना है, लेकिन इसे लेकर जल्दबाज़ी में निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा।
पुस्तक “A World in Flux: India’s Economic Priorities” के विमोचन अवसर पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की प्राथमिकता अब भी आर्थिक विकास बनाए रखना, वैश्विक संस्थाओं में एक सक्रिय भूमिका निभाना, और ग्लोबल साउथ में अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करना है। इसके साथ ही भारत एक मैत्रीपूर्ण और आकर्षक एफडीआई नीति के जरिए अधिक निवेश आकर्षित करने की दिशा में काम कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के समय लगाए गए Press Note 3 के तहत चीन से निवेश पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद अब बातचीत के नए रास्ते खुल रहे हैं। दोनों देशों की सरकारें धीरे-धीरे सार्थक संवाद की दिशा में आगे बढ़ रही हैं, और अगर यह रुख जारी रहा तो भविष्य में व्यापक आर्थिक सहयोग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
हालांकि, निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि यह सब अभी शुरुआती स्तर पर है और दोनों देशों को कूटनीतिक सतर्कता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा, “सिर्फ बातचीत शुरू होना ही काफी नहीं है, बल्कि यह देखना होगा कि यह बातचीत कहां तक जाती है और किस रूप में परिणत होती है।”
भारत और चीन के बीच रिश्तों में नई संभावनाएं ज़रूर बन रही हैं, लेकिन इन संभावनाओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी, और आर्थिक स्वायत्तता जैसे मसलों पर संतुलन बनाना अनिवार्य होगा। सरकार की यह सोच भारत की परिपक्व विदेश नीति और व्यावसायिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।