ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया चौथा टेस्ट मैच ड्रॉ रहा, लेकिन मुकाबले में रोमांच और जज्बे की कमी नहीं थी। जब भारतीय टीम संकट में थी, तब रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने मोर्चा संभालते हुए ना सिर्फ हार को टाल दिया, बल्कि मैच को ऐसे मोड़ पर पहुंचाया जहां इंग्लैंड के लिए भी जीत नामुमकिन हो गई।
भारतीय टीम ने अंतिम दिन फॉलोऑन खेलने के बाद शानदार जुझारूपन दिखाया। रविंद्र जडेजा ने जहां धैर्य के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए 123 रन की शानदार पारी खेली, वहीं वॉशिंगटन सुंदर ने उनका साथ निभाते हुए 87 रनों की संयमित और रणनीतिक पारी खेली। दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर सातवें विकेट के लिए 176 रन की अविजित साझेदारी की, जो भारतीय पारी की रीढ़ साबित हुई।
इससे पहले भारत की पहली पारी इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों के आगे लड़खड़ा गई थी और पूरी टीम सिर्फ 197 रनों पर सिमट गई थी। इंग्लैंड ने पहली पारी में 434 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दबदबा बनाया था, जिसमें जो रूट ने 158 रन की कप्तानी पारी खेली थी।
मैच के अंतिम दिन इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने पूरी कोशिश की कि वे भारतीय निचले क्रम को तोड़ सकें, लेकिन जडेजा और सुंदर की चट्टानी दीवार ने हर हमले को नाकाम किया। बारिश की हल्की रुकावटों और खेल के दबाव के बीच दोनों बल्लेबाज़ों की मानसिक दृढ़ता तारीफ़ के काबिल रही।
इस ड्रॉ के साथ पांच मैचों की सीरीज़ में भारत को 2-1 की बढ़त हासिल है, और अब सभी की निगाहें अंतिम टेस्ट पर टिकी हैं जो श्रृंखला का परिणाम तय करेगा। कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा ने टीम के इस संघर्ष और जुझारूपन की सराहना की है।
निष्कर्षतः, ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट भले ही ड्रॉ रहा हो, लेकिन जडेजा और सुंदर की साहसी पारियों ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिल जीत लिए। यह मैच टीम इंडिया के आत्मविश्वास और बल्लेबाज़ी क्रम की गहराई का प्रमाण बन गया है।