केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका की नासा (NASA) के बीच संयुक्त रूप से विकसित किया गया ‘निसार’ उपग्रह 30 जुलाई को शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह मिशन न केवल ISRO की अंतरराष्ट्रीय क्षमताओं को एक नई ऊंचाई देगा, बल्कि भारत-अमेरिका की वैज्ञानिक साझेदारी को भी वैश्विक मंच पर एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत करेगा।
डॉ. सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह केवल एक सैटेलाइट लॉन्च नहीं, बल्कि दो लोकतांत्रिक और वैज्ञानिक रूप से प्रतिबद्ध देशों के साझा प्रयासों का प्रतीक है। यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विश्व बंधु” दृष्टिकोण का जीवंत उदाहरण है, जिसमें भारत को एक ऐसे वैश्विक भागीदार के रूप में देखा जाता है जो पूरी मानवता के सामूहिक कल्याण में योगदान देता है। उन्होंने कहा, “निसार सिर्फ एक उपग्रह नहीं, बल्कि भारत का वैश्विक वैज्ञानिकों के साथ किया गया हाथ मिलाना है।”
‘निसार’ मिशन के तहत अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए पृथ्वी के स्थलीय और हिम क्षेत्रों की हर 12 दिन में दोहराई जाने वाली विस्तृत इमेजिंग की जाएगी। इस सैटेलाइट में नासा का एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार, हाई-रेट टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम, जीपीएस रिसीवर्स और 12 मीटर की विशाल एंटीना लगी है, जबकि इसरो ने एस-बैंड रडार, स्पेसक्राफ्ट बस, जीएसएलवी-एफ16 लॉन्च व्हीकल और अन्य सभी लॉन्च सेवाएं प्रदान की हैं। कुल मिलाकर यह 2,392 किलोग्राम वजनी उपग्रह सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया जाएगा, जो पहली बार किसी जीएसएलवी रॉकेट से किया जा रहा है — यह ISRO की बढ़ती तकनीकी परिपक्वता का प्रतीक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ‘निसार’ मिशन से दुनिया भर के देशों को प्राकृतिक आपदाओं, कृषि निगरानी और जलवायु परिवर्तन पर सटीक और समयबद्ध डेटा मिलेगा। यह उपग्रह भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन जैसी घटनाओं की पूर्व जानकारी उपलब्ध कराएगा और पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म बदलावों की निगरानी करेगा। इसके अलावा यह समुद्री बर्फ वर्गीकरण, जहाजों की पहचान, तटरेखा पर निगरानी, तूफानों की ट्रैकिंग, फसल मानचित्रण और मृदा नमी जैसे क्षेत्रों में भी व्यापक जानकारी देगा, जिससे नीति निर्माण और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार संभव होंगे।
इस मिशन की एक और विशेषता यह है कि इसके द्वारा एकत्रित किया गया सारा डेटा 1 से 2 दिनों के भीतर आम लोगों और शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। आपातकालीन परिस्थितियों में यह डेटा लगभग रीयल-टाइम में उपलब्ध होगा। यह वैज्ञानिक डेटा को लोकतांत्रिक रूप से सब तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए वरदान सिद्ध होगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि इस मिशन में न केवल भारत और अमेरिका की वैज्ञानिक क्षमताओं का समावेश हुआ है, बल्कि यह दुनिया भर के पर्यावरणीय अनुसंधानकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित होगा। ‘निसार’ जैसे मिशन अब केवल वैज्ञानिक जिज्ञासा का विषय नहीं रहे, बल्कि जलवायु अनुकूलन और सतत विकासके लिए रणनीतिक उपकरण बन चुके हैं। आने वाले समय में जलवायु संकट की तीव्रता के बीच, उपग्रहों से प्राप्त यह सटीक डेटा सरकारों को समय पर कदम उठाने में सक्षम बनाएगा।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि यह ऐतिहासिक मिशन पिछले एक दशक से तैयार किया जा रहा था और इसमें $1.5 बिलियन से अधिक का संयुक्त निवेश हुआ है। इसके दूरगामी परिणाम पूरी दुनिया को वैज्ञानिक, सामाजिक और रणनीतिक रूप से लाभान्वित करेंगे। अंत में उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़कर अब ज्ञान-आधारित वैश्विक योगदान की दिशा में अग्रसर है। “निसार” इसी परिवर्तनशील सोच और भारत की वैश्विक वैज्ञानिक नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है।