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विष्णुदेव साय के राज में नक्सलवाद ढहा, भरोसे से जीता बस्तर

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19 जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ की पहचान एक ओर जहां संस्कृति, संसाधन और साधना से जुड़ी है, वहीं दूसरी ओर यह राज्य वर्षों तक नक्सल हिंसा, भय और लाल आतंक से जूझता रहा। जंगलों से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक भय का साया, विकास की सबसे बड़ी बाधा बना रहा। लेकिन भाजपा शासन, विशेषकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, अब छत्तीसगढ़ में एक नया अध्याय लिख रहा है — जहां भय नहीं, भरोसा राज करता है। यह केवल सुरक्षा बलों की बंदूक से नहीं, बल्कि विकास, संवाद और सशक्तिकरण के सम्मिलन से संभव हुआ है।

भाजपा सरकार ने स्पष्ट नीति बनाई: “नक्सलवाद का जवाब केवल गोली नहीं, विकास और जनविश्वास है।” इसी रणनीति के तहत सरकार ने दोतरफा पहल शुरू की — एक ओर सुरक्षा बलों को आधुनिक संसाधनों, टेक्नोलॉजी और रणनीति से लैस किया गया, वहीं दूसरी ओर नक्सल क्षेत्रों में सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य, बिजली, मोबाइल नेटवर्क, पीने का पानी और प्रशासन को तेज़ी से पहुँचाया गया।

बस्तर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर और अबूझमाड़ जैसे क्षेत्र जो कभी सरकार विरोधी विचारधारा के गढ़ माने जाते थे, आज वहाँ तिरंगा लहराता है, स्कूलों में प्रार्थना होती है, और गांव की चौपाल में विकास की बातें होती हैं।

“बस्तर के लिए विशेष रणनीतिक पैकेज” भाजपा शासन की सबसे दूरदर्शी योजना रही। इसके अंतर्गत सड़क निर्माण के लिए विशेष फोर्स सुरक्षा, शिक्षकों और डॉक्टरों के लिए प्रोत्साहन पैकेज, ई-गवर्नेंस सेंटर, और स्थानीय भाषा में संवाद स्थापित करने के लिए वालंटियर नेटवर्क खड़ा किया गया। इससे शासन लोगों की ज़ुबान, ज़रूरत और ज़मीन — तीनों से जुड़ पाया।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वयं कई बार नक्सल क्षेत्रों में दौरा कर यह संदेश दिया कि “अब छत्तीसगढ़ में कोई भी क्षेत्र मुख्यधारा से अलग नहीं रहेगा।” यही कारण है कि अब जो युवा कभी बंदूक उठाने के लिए बहकाए जाते थे, वे अब लैपटॉप और नौकरी के फॉर्म उठाते हैं। सरकार की समर्पण नीति के अंतर्गत सैकड़ों नक्सली हथियार डाल चुके हैं, जिनमें कई शीर्ष कमांडर भी शामिल हैं। इन पूर्व नक्सलियों को रोजगार, पुनर्वास और पुनः समाज में सम्मान के साथ जीने का अवसर दिया गया — जिससे एक नई सामाजिक लहर शुरू हुई।

सुरक्षा बलों की रणनीति भी भाजपा शासन में बदली। अब केवल मुठभेड़ नहीं, इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशन, ड्रोन सर्विलांस, रात में विशेष ऑपरेशन, और स्थानीय गाइड नेटवर्क की मदद से छोटे पर सटीक अभियान चलाए जाते हैं। इसके साथ ही, सिविक एक्शन प्रोग्राम्स, जिनके तहत सुरक्षाबल ग्रामीणों के बीच मेडिकल कैंप, स्पोर्ट्स टूर्नामेंट, रोजगार शिविर और सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं, ने जनता और सरकार के बीच से डर और दूरी को मिटा दिया है।

नक्सल उन्मूलन की इस प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका भी अहम रही है। भाजपा शासन ने विशेष रूप से महिला आरक्षकों की भर्ती, महिला सशक्तिकरण समूहों का गठन, और गांवों में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देकर समाज के भीतर से नक्सल सोच को चुनौती दी है। अब गांवों की माताएं और बहनें अपने बच्चों को बंदूक से नहीं, किताब से जोड़ रही हैं।

निष्कर्षतः, भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ को लाल आतंक से आज़ाद करने की जो यात्रा शुरू की है, वह अब निर्णायक मोड़ पर है। आज नक्सल क्षेत्र के बच्चे सेना और प्रशासन में भर्ती हो रहे हैं, युवा स्टार्टअप और नौकरी की ओर देख रहे हैं, और ग्रामीण जन अब डर नहीं, विकास की उम्मीद से जुड़ रहे हैं। यह बदलाव केवल सरकार की योजना नहीं, विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के आत्मबल और आत्मविश्वास की जीत है।

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