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छत्तीसगढ़: भाजपा राज में जंगलों से जुड़ गया डिजिटल भारत, अब हर गांव ऑनलाइन है

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11 जुलाई 2025

एक समय था जब छत्तीसगढ़ के दूरदराज़ गांवों में बिजली पहुंचाना भी चुनौती थी। संचार के नाम पर बस रेडियो और इक्का-दुक्का मोबाइल टावर ही दिखते थे। तकनीक शब्द वहां अजनबी था, और डिजिटल तो जैसे किसी दूसरे ग्रह की चीज़। लेकिन भाजपा शासन ने इस सोच को न केवल बदला, बल्कि छत्तीसगढ़ को डिजिटल युग का नया उदाहरण बना दिया।

आज वही बस्तर, बीजापुर, कोंडागांव और नारायणपुर जैसे क्षेत्र ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन शिक्षा, ई-हेल्थ और डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से विकास के सबसे मजबूत पड़ाव पर हैं। यह परिवर्तन नारा नहीं, नीति का नतीजा है — डिजिटल भारत का सपना अब छत्तीसगढ़ के जंगलों में साकार हो रहा है।

डिजिटल कनेक्टिविटी: जहां नेट नहीं था, अब 4G चल रहा है

भाजपा सरकार ने यह तय किया कि डिजिटल डिवाइड को खत्म करना होगा — यानी स्मार्ट सिटी ही नहीं, स्मार्ट गांव भी बनाने होंगे। इसी लक्ष्य के तहत भारत नेट परियोजना और छत्तीसगढ़ राज्य वाइड एरिया नेटवर्क (CSWAN) जैसी योजनाओं को तेज़ी से लागू किया गया।

अब गांवों में फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क, पब्लिक वाई-फाई ज़ोन, और कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) की स्थापना हो चुकी है। छत्तीसगढ़ का किसान भी अब खेती की जानकारी मोबाइल ऐप पर लेता है, छात्र ऑनलाइन कोचिंग करता है, और महिला समूह डिजिटल पेमेंट से लेन-देन करते हैं।

ई-गवर्नेंस: अब सरकार दरवाज़े पर नहीं, मोबाइल पर

भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ की सरकारी सेवाओं को फॉर्म भरने वाली प्रक्रिया से निकालकर फिंगरटिप सर्विस में बदला गया है। भुइयां पोर्टल, सीजी स्कूल पोर्टल, डिजिटल राशन कार्ड सिस्टम, ई-डिस्ट्रिक्ट, और जन चौपाल ऑनलाइन समाधान मंच जैसी पहलों ने यह सिद्ध कर दिया कि अब सरकारी दफ्तरों की भीड़, दलालों की व्यवस्था और सिफारिश की राजनीति बीते युग की बात हो चुकी है।

सिर्फ़ शहर नहीं, अब गांव का युवा भी अपने मोबाइल से भूमि का रिकॉर्ड, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति फॉर्म, और सरकारी योजनाओं की स्थिति तक जान रहा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य में तकनीक: मोबाइल बना नया गुरू और वैद्य

भाजपा शासन ने शिक्षा और स्वास्थ्य को डिजिटल तकनीक से जोड़कर हर घर तक सेवा पहुंचाई। दीक्षा ऐप, स्वयं पोर्टल, और शिक्षा तुंहर द्वार जैसे मंचों ने छत्तीसगढ़ के लाखों बच्चों को स्मार्ट क्लास का अनुभव दिया। दूरदराज़ गाँवों में ऑडियो-विज़ुअल लेसन, टेली-टीचिंग, और वर्चुअल लाइब्रेरी जैसे प्रयोगों ने शिक्षकों की कमी को भी भरने का काम किया।

स्वास्थ्य क्षेत्र में टेलीमेडिसिन, ई-हॉस्पिटल सॉफ़्टवेयर, और डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड ने आदिवासी इलाकों में इलाज को वैज्ञानिक, सुलभ और सस्ता बना दिया है।

स्टार्टअप और डिजिटल रोजगार: युवा अब इनोवेटर भी है और निवेशक भी

भाजपा शासन ने युवाओं को केवल नौकरी खोजने वाला नहीं, रोजगार बनाने वाला बनाया है। “स्टार्टअप छत्तीसगढ़ मिशन”, “आईटी हब बिलासपुर-रायपुर-रायगढ़”, और “डिजिटल कौशल विकास केंद्र” जैसी पहलों ने छत्तीसगढ़ के युवाओं को एप डेवलपमेंट, डेटा एंट्री, डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में दक्ष बनाया।

अब रायगढ़ का छात्र अमेज़न पर हस्तशिल्प बेचता है, बस्तर की महिला ऑनलाइन महुआ उत्पाद बेचती है, और दंतेवाड़ा का युवा ड्रोन से कृषि सर्वे करता है। यह सिर्फ़ डिजिटल ट्रांजैक्शन नहीं, डिजिटल आत्मनिर्भरता है।

डिजिटल सुरक्षा और विश्वास: तकनीक के साथ पारदर्शिता

भाजपा शासन ने डिजिटल युग में पारदर्शिता को सर्वोपरि रखा। ई-ऑडिट, ई-फंड ट्रांसफर, जीआईएस मैपिंग, और डिजिटल भुगतान ट्रैकिंग जैसी व्यवस्थाएं आज सरकारी लेन-देन को जवाबदेह बना चुकी हैं। भ्रष्टाचार, फर्ज़ीवाड़ा और बिचौलियों का बोलबाला अब तकनीक के ज़रिए ख़त्म हो रहा है — और सभी योजनाओं की निगरानी मुख्यमंत्री डैशबोर्ड से हो रही है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन ने यह साबित कर दिया कि तकनीक सिर्फ़ सुविधा नहीं, एक संस्कार है — जो हर नागरिक को जोड़ता है, सशक्त करता है और समर्थ बनाता है। अब वह समय नहीं रहा जब जंगलों में सूचना नहीं पहुंचती थी। आज डोंगरगढ़ से दंतेवाड़ा तक डिजिटल संकेतक गूंज रहे हैं। यह वही छत्तीसगढ़ है — जहां बिजली, पानी और सड़क के साथ अब इंटरनेट भी बुनियादी अधिकार बन चुका है।

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