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छत्तीसगढ़ में भाजपा का नया मंत्र: शिक्षा, नारी और युवा से नवनिर्माण

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7 जुलाई 2025

भाजपा के शासनकाल में छत्तीसगढ़ का जो रूप आकार ले रहा है, वह केवल विकास परियोजनाओं और कानून व्यवस्था की सफलता तक सीमित नहीं है। असल परिवर्तन वहां हुआ है जहां पीढ़ियों से उपेक्षित वर्गों को न केवल मंच मिला, बल्कि उड़ान भरने के लिए पंख भी मिले। यह तीन स्तंभ — शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और युवाओं का उत्थान — मिलकर वह नींव बना रहे हैं जिस पर नवछत्तीसगढ़ का निर्माण हो रहा है।

शिक्षा: अंधेरे से उजाले की यात्रा

छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली लंबे समय तक संसाधनों की कमी, शिक्षकों के अभाव और नक्सल प्रभाव से पीड़ित रही। लेकिन भाजपा शासन ने इस सबसे बुनियादी समस्या को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आदिवासी अंचलों में जहां पहले स्कूल सिर्फ़ नाम मात्र थे, अब वहाँ “स्कूल ऑफ एक्सीलेंस”, “बालक-बालिका छात्रावास”, और डिजिटल स्मार्ट क्लास रूम्स जैसी व्यवस्थाएं खड़ी हो चुकी हैं।

“मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” और “स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल योजना” ने सरकारी स्कूलों को निजी संस्थानों से प्रतिस्पर्धा के काबिल बनाया है। आज गरीब और आदिवासी परिवारों के बच्चे भी विज्ञान, गणित और कंप्यूटर शिक्षा से परिचित हो रहे हैं। बालिकाओं के लिए अलग विद्यालय और साइकिल वितरण योजनाएं उन्हें शिक्षा के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा रही हैं। भाजपा की यह सोच स्पष्ट है — “असली सामाजिक न्याय तब होगा जब एक आदिवासी बच्चा डॉक्टर या कलेक्टर बनकर लौटेगा।”

महिला सशक्तिकरण: अब ‘कल्याण’ नहीं, ‘नेतृत्व’ की भूमिका

छत्तीसगढ़ की महिलाएं कभी केवल कल्याणकारी योजनाओं की लाभार्थी थीं। लेकिन भाजपा शासन में वे निर्णय की भागीदार बनी हैं। “सखी समूह”, “महिला सहकारी समितियां”, और “गोधन न्याय योजना” जैसे प्रयासों ने महिलाओं को घर की चारदीवारी से बाहर निकाल कर वित्तीय, सामाजिक और राजनीतिक शक्ति दी है।

अब महिलाएं केवल सिलाई या दोना-पत्तल बनाने तक सीमित नहीं, बल्कि बायोगैस, जैविक खेती, सूक्ष्म उद्यम, और स्टार्टअप इकाइयों का संचालन कर रही हैं। कई जिलों में महिला समूहों ने बैंकिंग कार्य तक संभाल लिए हैं। पंचायतों में महिला प्रतिनिधित्व को केवल आरक्षण का नाम नहीं दिया गया, उन्हें प्रशिक्षण, अधिकार और अवसर भी दिए गए। भाजपा का यह दृष्टिकोण — “मातृशक्ति को सामाजिक शक्ति बनाओ” — राज्य की प्रगति में अमूल्य योगदान दे रहा है।

युवा नीति: नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनाओ

छत्तीसगढ़ के युवाओं को पहले ‘प्रवासी श्रमिक’ की संज्ञा दी जाती थी। लेकिन भाजपा शासन ने इस मानसिकता को बदल डाला। “मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना”, “रोज़गार प्रोत्साहन भत्ता योजना”, और “स्टार्टअप छत्तीसगढ़ मिशन” के तहत युवाओं को न केवल प्रशिक्षण मिला बल्कि उन्हें अपने ही गांव में रोजगार के अवसर भी मिलने लगे।

बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगांव, और अंबिकापुर में अब आधुनिक आईटीआई, पॉलीटेक्निक और नवाचार केंद्र संचालित हो रहे हैं, जो स्थानीय युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इससे पलायन रुका है और नवाचार बढ़ा है। वहीं, “ट्राइबल टेक्नो हब” जैसी योजनाओं से आदिवासी युवाओं को भी ड्रोन, एग्रीटेक और ई-कॉमर्स जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं में प्रवेश मिला है।

भाजपा सरकार का मानना है कि राज्य तभी सशक्त होगा जब उसके युवा आत्मनिर्भर, संस्कारी और तकनीकी रूप से सक्षम होंगे। यही कारण है कि अब स्कूलों और कॉलेजों में कैरियर गाइडेंस, उद्यमिता विकास, और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भाजपा ने केवल चुनाव नहीं जीते, जनविश्वास का विस्तार किया है। शिक्षा ने समाज को दिशा दी, महिला शक्ति ने उसे गति दी, और युवा शक्ति ने भविष्य को आयाम दिया। इन तीनों क्षेत्रों में जो क्रांति भाजपा शासन के अंतर्गत दिख रही है, वह किसी जुमले या विज्ञापन की देन नहीं, बल्कि पॉलिसी + परफॉर्मेंस + पैशन की साझी सफलता है।

आज छत्तीसगढ़ के हर गांव में लड़की स्कूल जा रही है, युवक तकनीकी प्रशिक्षण ले रहा है, और महिला समूह अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच रही है — यही है वह “नवछत्तीसगढ़”, जिसकी कल्पना सिर्फ़ भाजपा ही नहीं, हर संवेदनशील नागरिक ने की थी।

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