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छत्तीसगढ़ : भाजपा शासन में ‘बदलाव’ अब नारे से हकीकत बन चुका है

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5 जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल को देखकर आज यह कहना पूरी तरह उपयुक्त है कि “बदलाव अब पोस्टर में नहीं, ज़मीनी सच्चाई में झलकता है।” वर्षों से जिस राज्य को केवल खनिज संपदा, नक्सल हिंसा और उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता रहा, वह अब राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा में आत्मविश्वास के साथ कदमताल कर रहा है। यह केवल योजनाओं और बजट का नहीं, बल्कि दृष्टिकोण, नेतृत्व और राजनीतिक ईमानदारी का परिणाम है — जिसे भाजपा ने अपने शासनकाल में साकार किया है।

कभी जो राज्य ‘समस्याओं का केंद्र’ कहलाता था, वह आज ‘समाधानों की प्रयोगशाला’ बन चुका है। भाजपा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने न केवल अपनी छवि बदली है, बल्कि उस सोच को भी बदल दिया है जो इसे पिछड़ा, हिंसाग्रस्त और अविकसित मानती थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी टीम ने राजनीति को “प्रबंधन और प्रचार” से उठाकर “जनसंवाद और जनसेवा” की ओर मोड़ा है — और यह बदलाव ही छत्तीसगढ़ की आत्मा में नई जान फूंक रहा है।

‘अंत्योदय’ के दर्शन को जीवंत करने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि आज राज्य के सबसे दूरस्थ आदिवासी गांवों तक बिजली, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं। भाजपा की नीति स्पष्ट रही है — पहले वह पहुंचे, जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा। यही वजह है कि अब सुकमा, बीजापुर, और नारायणपुर जैसे इलाकों में पहले स्कूल खुलते हैं, फिर थाना; पहले स्वास्थ्य केंद्र बनते हैं, फिर प्रशासनिक भवन।

‘बुनियादी विकास’ को भाजपा सरकार ने अपनी राजनीति की रीढ़ बना दिया है। सड़कों का जाल, जल आपूर्ति की व्यवस्था, कृषि सिंचाई योजनाएं और डिजिटल ग्राम सेवाएं — ये सब न केवल शहरी केंद्रों में, बल्कि जनजातीय अंचलों में भी समान रूप से विकसित किए जा रहे हैं। इससे यह साबित हो गया है कि भाजपा “दिल्ली दूर है” की मानसिकता से निकलकर “दिल्ली गांव तक है” की दिशा में आगे बढ़ रही है।

एक विशेष और सराहनीय पक्ष यह है कि भाजपा शासन ने स्थानीय प्रतिभाओं और नेतृत्व को सामने लाने का साहसिक निर्णय लिया है। आज ग्राम पंचायतों से लेकर राज्य सचिवालय तक, आदिवासी समुदाय की भागीदारी पहले से कहीं अधिक है। भाजपा ने उन्हें केवल ‘सांस्कृतिक प्रतीक’ के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्हें प्रशासन, विकास और नीतियों का अंग बनाया है। यह समावेशिता ही राजनीतिक स्थायित्व का आधार बन रही है।

छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक मशीनरी में पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना अब सिस्टम का अभिन्न अंग बन चुकी है। मुख्यमंत्री जनसंपर्क पोर्टल, सीएम डायल और जन चौपाल कार्यक्रमों के माध्यम से जनता अब सीधे अपने मुख्यमंत्री से संवाद करती है। शिकायतों का निवारण सिर्फ ‘अधिकारी देखें’ कहकर टालने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि समयबद्ध कार्रवाई में बदल चुका है। यह विश्वास और जवाबदेही का वह ढांचा है जिसकी कल्पना गांधी और अंबेडकर ने स्वराज की परिकल्पना में की थी।

छत्तीसगढ़ का भविष्य अब केवल संसाधनों की लूट और बाहरी निवेश की ओर नहीं, बल्कि ‘जन भागीदारी से जन संपन्नता’ की ओर बढ़ रहा है। भाजपा सरकार की रणनीति स्पष्ट है — आत्मनिर्भर गांव, शिक्षित युवा, सशक्त महिला, सुरक्षित समाज और संवेदनशील शासन। यह पंचसूत्र ही अगले 25 वर्षों की नींव रख रहा है।

आज जब देश ‘विकसित भारत @2047’ का सपना देख रहा है, तब छत्तीसगढ़ उसी दिशा में ‘विकसित राज्य @2030’ की रूपरेखा गढ़ चुका है। और इस यात्रा का नेतृत्व एक ऐसी पार्टी कर रही है जिसने न केवल वादे किए, बल्कि हर वादा निभाने की नीयत और नीति दोनों दिखाई।

भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ आज माटी की सोंधी खुशबू से निकलकर डिजिटल और वैश्विक भविष्य की ओर दौड़ रहा है। और इस दौड़ में पीछे छूट रहे हैं वे विचार, जो इसे केवल वनवासी, पिछड़ा और हिंसाग्रस्त प्रदेश कहने में लगे थे। भाजपा ने सिद्ध किया है कि यदि नेतृत्व स्वच्छ हो, नीयत स्पष्ट हो और जनता का विश्वास साथ हो — तो कोई भी राज्य अंधेरे से उजाले तक की यात्रा पूरी कर सकता है।

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