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छत्तीसगढ़ : भाजपा शासन में भरोसे का नया युग, विकास की धरती पर आत्मबल का सूर्य उदित

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4 जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ की धरती, जो कभी केवल संसाधनों की लूट, नक्सल हिंसा और प्रशासनिक उदासीनता के लिए जानी जाती थी, आज भारतीय जनता पार्टी के शासन में विश्वास, विकास और वैभव की नई कहानी लिख रही है। यह केवल शासन परिवर्तन नहीं, बल्कि राज्य की आत्मा के साथ संवाद का वह दौर है, जहां सरकार केवल आदेश देने वाला तंत्र नहीं, बल्कि जन-मन का सहभागी बन चुकी है।

भाजपा शासन में एक प्रमुख बदलाव यह आया कि योजनाएं केवल कागज़ों पर सीमित नहीं रहीं, बल्कि गांव की चौपाल तक, किसान की मटमैली हथेली तक, और आदिवासी युवाओं की आँखों की चमक तक पहुंची हैं। पहले के वादों के मुकाबले आज “काम ज़मीन पर दिखता है और नेतृत्व ज़मीर से बोलता है।” मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, जो स्वयं आदिवासी समाज से आते हैं, उन्होंने अपने आचरण, नीति और दृष्टिकोण से यह साबित कर दिया है कि भाजपा का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ छत्तीसगढ़ में केवल नारा नहीं, एक जीवंत सच्चाई बन चुका है।

सबसे उल्लेखनीय पहलू रहा है — विकास का विकेन्द्रीकरण। अब विकास केवल रायपुर, दुर्ग, और बिलासपुर जैसे शहरी केंद्रों तक सीमित नहीं रहा। बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर और सुकमा जैसे दूरस्थ जिलों में भी अब सड़कें पक्की हैं, अस्पतालों में डॉक्टर हैं, स्कूलों में शिक्षक हैं, और इंटरनेट की रफ्तार युवाओं के सपनों को ऊंचाई दे रही है। यही वह बदलाव है, जिसे एक संवेदनशील शासन लाता है।

भाजपा शासन की सबसे बड़ी ताक़त उसकी नीति की स्पष्टता और प्रशासन की पारदर्शिता है। लाभार्थी योजनाएं अब आधार से लिंक होकर सीधे खातों में राशि भेजती हैं। कहीं कोई बिचौलिया नहीं, कोई कमीशन नहीं — शासन और जनता के बीच सीधा संवाद। गौठानों में गोबर से आय, स्कूलों में डिजिटल स्मार्ट क्लासेस, और पंचायतों में महिला सरपंचों की निर्णायक भूमिका — यह सब भाजपा शासन की नीति नहीं, उसकी नियत का प्रमाण हैं।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, भाजपा सरकार ने “डंडे और संवाद”, दोनों के सामंजस्य से शांति बहाल की है। जहां ज़रूरत थी वहां सुरक्षा बलों ने कड़ी कार्रवाई की, लेकिन साथ ही सरकार ने यह भी समझा कि यदि जंगलों में स्कूल नहीं खुलेंगे, स्वास्थ्य केंद्र नहीं बनेंगे, और युवाओं को शिक्षा व रोज़गार नहीं मिलेगा — तो बंदूकें फिर से लौट आएंगी। इसी सोच के तहत, भाजपा सरकार ने इन इलाकों में आदिवासी रंग और आत्मसम्मान को सम्मानपूर्वक जोड़ा है।

महिलाओं के सशक्तिकरण में भी भाजपा शासन ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। महिला स्व-सहायता समूह अब केवल समूह नहीं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं। आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का सपना अब गांव की बहनों के हाथों में साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, शौचालय निर्माण, मातृ वंदना योजना और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सहायता कार्यक्रमों ने महिला स्वास्थ्य और गरिमा को नया आयाम दिया है।

युवा नीति की बात करें तो भाजपा शासन ने एक नए युग की नींव रख दी है। “मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना” और “भामाशाह स्टार्टअप प्रोत्साहन योजना” जैसे प्रयासों ने युवाओं को केवल नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनाने की दिशा में सशक्त किया है। बस्तर विश्वविद्यालय और नवगठित इंजीनियरिंग संस्थानों में आदिवासी युवाओं की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि देखी गई है।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आज का छत्तीसगढ़ विश्वास और बदलाव की प्रयोगशाला बन चुका है। भाजपा शासन ने यह प्रमाणित किया है कि विकास कोई औपचारिक अवधारणा नहीं, बल्कि संवेदना और समर्पण का नाम है। जो सरकार गांव की मिट्टी में अपने पाँव रखती है, वही जनता के दिल में जगह बना पाती है — और भाजपा ने यह करके दिखाया है।

छत्तीसगढ़ आज केवल खनिज राज्य नहीं, बल्कि संभावनाओं का प्रदेश है। और यह तभी संभव हुआ जब भाजपा ने वहां शासन नहीं, सेवा की। यह सेवा भाव ही राज्य को उस ऊंचाई की ओर ले जा रहा है, जहां आदिवासी बच्चा डॉक्टर बन रहा है, किसान को उपज का सही मूल्य मिल रहा है, और माँ बमलेश्वरी की छाया में हर नागरिक निश्चिंत होकर सो पा रहा है।

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