1 जुलाई 2025 को पूरे देशभर में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctors’ Day) श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता के भाव के साथ मनाया गया। इस अवसर पर देश के सर्वोच्च नेतृत्व ने डॉक्टरों के प्रति अपने आदर और आभार को अभिव्यक्त किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार समेत कई नेताओं ने डॉक्टरों की सेवा, समर्पण और करुणा की सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर डॉक्टरों को बधाई देते हुए लिखा – “डॉक्टर दिवस पर सभी मेहनती डॉक्टरों को शुभकामनाएं। हमारे डॉक्टरों ने अपने कौशल और परिश्रम से एक अलग पहचान बनाई है। उनकी करुणा की भावना भी उतनी ही सराहनीय है। वे वास्तव में स्वास्थ्य के रक्षक और मानवता के स्तंभ हैं। भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सशक्त बनाने में उनका योगदान अत्यंत उल्लेखनीय है।” प्रधानमंत्री का यह संदेश न केवल सम्मानजनक था, बल्कि उन असंख्य डॉक्टरों के संघर्ष, बलिदान और अथक सेवा का भी सशक्त सार्वजनिक स्वीकार था, जिन्होंने न केवल महामारी के दौर में, बल्कि रोज़मर्रा की चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक स्वास्थ्य की रोशनी पहुँचाई।
गृहमंत्री अमित शाह ने डॉक्टरों को मानवता की शक्ति बताया और लिखा – “राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं। डॉक्टर मानवता की वह शक्ति हैं, जो अपने समर्पण के माध्यम से जीवन को बचाते हैं और हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा करते हैं। उनकी निःस्वार्थ सेवा को सलाम।” शाह के इस संदेश ने उस असहाय क्षण को चित्रित किया जब डॉक्टर ही जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर फैसला करते हैं – न केवल तकनीक के बल पर, बल्कि अपने धैर्य, साहस और संवेदना से।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का संदेश भावनात्मक गहराई लिए हुए था। उन्होंने लिखा – “वे सफेद कोट पहनते हैं, टोपी नहीं, लेकिन कई लोगों के लिए, वे उम्मीद और उपचार का कारण हैं। राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर, हमारे डॉक्टरों के प्रति हार्दिक आभार, जो देखभाल से ज़्यादा हिम्मत देते हैं।” यह वक्तव्य उन अनगिनत रोगियों की भावनाओं को स्वर देता है जिनके लिए डॉक्टर केवल उपचारक नहीं, बल्कि जीवन की पुनः आशा होते हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी इस दिन को भावभीना सम्मान दिया और लिखा – “राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने वाले सभी डॉक्टरों का हार्दिक आभार। उनका निस्वार्थ समर्पण, करुणा और अथक प्रयास हमारे गहरे सम्मान के पात्र हैं।” मुख्यमंत्री ने चिकित्सा पेशे की सामाजिक जिम्मेदारी और डॉक्टरों की नैतिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
वहीं, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने डॉक्टरों के जीवन को एक “आह्वान” की संज्ञा दी और कहा – “डॉक्टर का काम सिर्फ़ विज्ञान या सेवा नहीं है – यह एक आह्वान है, जिसे रोज़ाना लंबे समय तक, कठिन निर्णयों और अदृश्य बलिदान के जरिए जिया जाता है। राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर हम उन लोगों के रोज़मर्रा के साहस, शांत लचीलेपन और अटूट प्रतिबद्धता को सलाम करते हैं, जो सिर्फ एक काम के तौर पर नहीं, बल्कि जीवन जीने के तरीके के तौर पर उपचार को चुनते हैं। सभी डॉक्टरों को: आपकी करुणा, आपकी ताकत और आपके सेवा भाव के लिए धन्यवाद।” उनका यह संदेश चिकित्सा पेशे को न केवल एक करियर, बल्कि एक मिशन के रूप में स्थापित करता है।
1 जुलाई को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि दोनों के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। डॉ. रॉय न केवल एक प्रतिष्ठित डॉक्टर थे, बल्कि उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में नैतिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और मानवतावादी दृष्टिकोण की नींव रखी।
आज जब देश की स्वास्थ्य प्रणाली डिजिटल हेल्थ मिशन, टेलीमेडिसिन, आयुष्मान भारत जैसी पहलों से नए युग में प्रवेश कर रही है, तब डॉक्टरों की भूमिका केवल स्टेथोस्कोप तक सीमित नहीं रह गई है। वे तकनीक के साथ–साथ सामाजिक परिवर्तन के वाहक भी बनते जा रहे हैं। विशेषकर ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों की प्रतिबद्धता, संसाधनों की कमी के बावजूद दी गई सेवा, और महामारी जैसी आपदाओं में निभाई गई अग्रिम भूमिका को देश कभी भूल नहीं सकता।
इस दिन पर देशभर के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जहां डॉक्टरों को सम्मानित किया गया और उनके अनुभव साझा किए गए। समाज के विभिन्न वर्गों से भी डॉक्टरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट की गई – चाहे वह स्कूलों में बच्चों की बनाई पेंटिंग हो, एनजीओ द्वारा किए गए रक्तदान शिविर, या डिजिटल मंचों पर चलाए गए आभार संदेश।
1 जुलाई 2025 का यह दिन डॉक्टरों को केवल स्मरण करने का अवसर नहीं है, बल्कि उन्हें हर उस क्षण याद रखने की प्रेरणा देता है, जब वे बिना छुट्टी, बिना थके, निस्वार्थ भाव से मानव जीवन की रक्षा के लिए खड़े होते हैं। यह वह दिन है जब देश कहता है – “धन्यवाद डॉक्टर, आप केवल शरीर नहीं, भरोसे की सांसें बचाते हैं।”