Home » National » तेलंगाना फार्मा प्लांट ब्लास्ट में अब तक 32 की मौत, लापता 27 मजदूरों की तलाश जारी, मलबे में दबे शवों की हो रही पहचान; मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी घायलों से करेंगे मुलाकात

तेलंगाना फार्मा प्लांट ब्लास्ट में अब तक 32 की मौत, लापता 27 मजदूरों की तलाश जारी, मलबे में दबे शवों की हो रही पहचान; मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी घायलों से करेंगे मुलाकात

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

तेलंगाना के पाशमैलारम औद्योगिक क्षेत्र से जो ख़बर सामने आई, उसने पूरे राज्य को गहरे शोक और आक्रोश में डुबो दिया। सोमवार सुबह संगारेड्डी ज़िले में स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के फार्मास्यूटिकल प्लांट में हुए भीषण विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। इस हादसे को राज्य का सबसे गंभीर औद्योगिक विस्फोट कहा जा रहा है, जिसकी भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 27 मजदूर लापता हैं और रेस्क्यू टीमों को आशंका है कि वे मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं। सोमवार देर रात तक घायलों में से 15 ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जिससे मृतकों की संख्या में और इज़ाफा हुआ। 

इस भीषण विस्फोट में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, वे केवल तकनीकी लापरवाही की कहानी नहीं सुनाते, बल्कि प्रवासी श्रमिकों की ज़िंदगी की उस विडंबना को भी उजागर करते हैं, जो अपनी रोज़ीरोटी की तलाश में हज़ारों किलोमीटर दूर आकर ऐसी जोखिमभरी परिस्थितियों में काम करने को विवश हैं। मृतकों में अधिकांश मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों से थे, जिनका सपना था परिवार के लिए दो वक्त की रोटी और बच्चों की पढ़ाई। लेकिन सोमवार सुबह यह सपना राख में बदल गया, जब अचानक फैक्ट्री में माइक्रोक्रिस्टलाइन सेलुलोज ड्राइंग यूनिट में भयंकर धमाका हुआ। विस्फोट इतना ज़ोरदार था कि उसकी आवाज़ पांच किलोमीटर दूर तक सुनाई दी, और तत्काल आग ने पूरी इकाई को घेर लिया। 

विस्फोट के वक्त फैक्ट्री में 108 कर्मचारी मौजूद थे। चश्मदीदों के मुताबिक, विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कुछ कर्मचारी हवा में उछलकर कई मीटर दूर जा गिरे। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि कई शव पूरी तरह जल चुके थे, जबकि कुछ के अवशेष टुकड़ों में मिले, जिससे पहचान कर पाना असंभव हो गया है। शवों की शिनाख्त के लिए अब डीएनए परीक्षण की आवश्यकता पड़ रही है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), हैदराबाद आपदा प्रतिक्रिया और संपत्ति संरक्षण एजेंसी (DRF), राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमें मलबा हटाने का कार्य जारी रखे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य रातभर चलते रहे, लेकिन मलबे के नीचे अभी भी कई ज़िंदगियों की संभावना और कई शवों की आशंका बनी हुई है। 

राज्य सरकार ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया है, जिसमें मुख्य सचिव, विशेष मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन), प्रमुख सचिव (श्रम), प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) और अतिरिक्त डीजीपी (अग्निशमन सेवाएं) को शामिल किया गया है। यह समिति हादसे की जाँच के साथसाथ यह भी देखेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जा सके। स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा ने सोमवार को घटनास्थल का दौरा करते हुए बताया कि इस फैक्ट्री को बने करीब 45 वर्ष हो चुके हैं और इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी पुराना है। श्रम मंत्री जी. विवेक ने प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह विस्फोट किसी केमिकल रिएक्टर का नहीं था, बल्कि एयर ड्रायर सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण हुआ, जो अत्यधिक प्रेशर के कारण फट गया। 

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी घटनास्थल का दौरा करेंगे और सरकारी अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात कर उनका हालचाल जानेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से यह संकेत दिया गया है कि सरकार मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता और पुनर्वास पैकेज देने की तैयारी में है, जबकि घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इसके अलावा सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के परिवारों से संपर्क करने और उनके शवों को पैतृक गांव तक पहुँचाने की व्यवस्था भी की जा रही है। 

इस त्रासदी ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर कर दिया है। ऐसी इकाइयों में नियमित निरीक्षण, सुरक्षा ड्रिल, तकनीकी सिस्टम की समयसमय पर जांच और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की प्रणाली बेहद लचर नज़र आती है। यदि यह विस्फोट किसी एयर ड्रायर के चलते हुआ, तो यह दर्शाता है कि पुरानी मशीनों की स्थिति और उनके रखरखाव को गंभीरता से नहीं लिया गया था। 

तेलंगाना के इतिहास में यह औद्योगिक लापरवाही की सबसे काली तारीख के रूप में याद किया जाएगा, जिसने 32 परिवारों के जीवन को छीन लिया और दर्जनों को अपंग या बेसहारा बना दिया। सरकार की तात्कालिक कार्रवाई और संवेदनशीलता निश्चित ही राहत देती है, लेकिन यह भी ज़रूरी है कि ऐसी घटनाएं फिर दोहराई जाएं इसके लिए केवल जांच रिपोर्ट और मुआवज़ा नहीं, व्यवस्थित परिवर्तन और जवाबदेही की आवश्यकता है। 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *