उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक बेहद चौंकाने वाला और अनोखा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पुलिस ने यहां एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जो खुद को काल्पनिक देश ‘Westarctica’ का राजदूत बताकर लोगों को ठग रहा था। पुलिस की छापेमारी में आरोपी के ठिकाने से ₹44 लाख नगद, फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, दर्जनों सरकारी व अंतरराष्ट्रीय मुहरें और कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। यह फर्जीवाड़ा न केवल देश के कानून और विदेश मंत्रालय की प्रतिष्ठा को चुनौती देने वाला है, बल्कि यह साफ करता है कि किस तरह जालसाज झूठी वैश्विक पहचान बनाकर आम लोगों को धोखा दे रहे हैं।
STF (विशेष कार्यबल) की नोएडा यूनिट ने गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में स्थित एक दो मंजिला घर में छापा मारा, जहां आरोपी हर्षवर्धन जैन ने “Westarctica Embassy” नाम से फर्जी दूतावास खोल रखा था। यह कोई वास्तविक देश नहीं, बल्कि अंटार्कटिका के एक हिस्से पर आधारित एक काल्पनिक माइक्रो-नेशन है, जिसे वैश्विक समुदाय में कोई मान्यता प्राप्त नहीं है। जैन ने इसी ‘Westarctica’ को हथियार बनाकर न केवल खुद को राजदूत घोषित किया, बल्कि विदेशों में नौकरी, निवेश, और वीजा दिलाने का झांसा देकर कई लोगों से मोटी रकम वसूल की।
पुलिस जांच में जो सामने आया वह और भी चौंकाने वाला था। आरोपी के पास से ₹44.7 लाख नकद, विभिन्न देशों की विदेशी मुद्रा, 12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, 34 फर्जी सरकारी और अंतरराष्ट्रीय मुहरें, डिप्लोमैटिक वाहनों की नंबर प्लेट, फर्जी प्रेस कार्ड, और विदेश मंत्रालय जैसे विभागों की नकली सीलें बरामद की गईं। घर के भीतर बाकायदा ‘दूतावास’ जैसा माहौल तैयार किया गया था—देशों के झंडे, मानद प्रमाणपत्र, विदेशी तस्वीरें और नामपट्टियाँ तक लगाई गई थीं। फर्जी पहचान और भ्रामक माहौल के जरिए वह अपने ‘राजनयिक कद’ को वैध रूप देने की कोशिश कर रहा था।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी केवल ‘Westarctica’ ही नहीं, बल्कि ‘Seborga’ और ‘Ladonia’ जैसे अन्य काल्पनिक देशों का भी फर्जी राजदूत बनकर लोगों को ठग चुका था। वह इन नकली देशों के नाम पर अवैध समझौते, नियुक्ति पत्र, वीजा, व्यापार प्रस्ताव और सम्मान पत्र तैयार करता था, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके कि वह वास्तव में किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था या राष्ट्र से जुड़ा हुआ है।
हर्षवर्धन जैन के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है, जिसमें धोखाधड़ी, कूटनीतिक दस्तावेजों की नकल, फर्जी पहचान बनाना, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे संगीन आरोप शामिल हैं। STF यह भी जांच कर रही है कि इस पूरे नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं, और कितने लोगों को इस गिरोह ने अपना शिकार बनाया है।
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि आरोपी ने नकली अंतरराष्ट्रीय पहचान के जरिए भारत की कूटनीतिक प्रतिष्ठा और आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने की कोशिश की। विदेश मंत्रालय, गृहमंत्रालय और केंद्रीय एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के दायरे को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक विस्तारित किया जा सकता है।
यह घटना एक चेतावनी है कि कैसे तकनीक और दिखावे के दम पर फर्जीवाड़ा करने वाले लोग आज भी समाज में भ्रम फैला सकते हैं। इस घटना ने साबित कर दिया है कि प्रशासन और आम जनता को ऐसे शातिर दिमागों के प्रति हमेशा सतर्क रहना होगा, जो झूठी पहचान और वैश्विक शब्दावली की आड़ में न सिर्फ लोगों को लूटते हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यवस्था को भी जोखिम में डालते हैं।