नई दिल्ली
23 जुलाई 2025
12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद अब एक और गंभीर चूक सामने आई है, जिसने मृतकों के परिवारों के ज़ख्म और गहरे कर दिए हैं। ब्रिटेन स्थित दो परिवारों को उनके परिजनों के स्थान पर गलत शव भेजे गए, और यह सनसनीखेज लापरवाही भारत के अहमदाबाद स्थित एक सरकारी अस्पताल की ओर से हुई है।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब ब्रिटेन में अंतिम संस्कार से पहले परिवारों ने शवों की पहचान पर संदेह जताया और दोबारा डीएनए परीक्षण करवाया। परीक्षण में साफ हो गया कि भारत से भेजे गए सीलबंद ताबूतों में गलत शव थे। इसके बाद परिजनों ने कानूनी कार्रवाई के लिए ब्रिटेन की प्रतिष्ठित फर्म Keystone Law से संपर्क किया, जिनके वकील ने टीवी चैनलों को बताया कि, “शवों की पहचान गलत हुई, उन्हें यूके भेजा गया और परिवारों को उनके प्रियजनों की जगह अजनबियों का अंतिम संस्कार करना पड़ा। इससे बड़ा मानसिक आघात और क्या हो सकता है?”
शवों को डीएनए परीक्षण के बाद पैक किया गया था और उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट के ज़रिए भेजा गया। लेकिन भारत सरकार के अधीन अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल ने ही पहचान और दस्तावेज़ी प्रक्रिया में गलती की, जिससे यह मानवीय त्रासदी घटित हुई। एयर इंडिया ने इस पर स्पष्ट किया है कि वह केवल ट्रांसपोर्टर की भूमिका में था, और शवों की पहचान व सीलिंग पूरी तरह अस्पताल की ज़िम्मेदारी थी।
इस मामले में अब सवाल उठ रहे हैं कि जब डीएनए सैंपलिंग जैसे वैज्ञानिक उपाय किए गए थे, तो फिर ऐसी गलती कैसे हुई? परिजनों का कहना है कि वे हादसे में अपनों को तो खो ही चुके थे, लेकिन अब उन्हें यह भी नहीं पता कि जिसे उन्होंने विदाई दी, वह वाकई उनका था या नहीं।
यह हादसा तब हुआ था जब एयर इंडिया की फ्लाइट, जो लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी, तकनीकी खराबी के कारण अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस त्रासदी में कई लोगों की जान गई, और अब शवों की अदला-बदली ने शोक को आक्रोश में बदल दिया है।
अब यह मांग ज़ोर पकड़ रही है कि सरकार मामले की स्वतंत्र जांच कराए, दोषियों को दंडित करे और भविष्य में ऐसी अमानवीय चूक को रोकने के लिए शव पहचान और ट्रांसफर की नई, पारदर्शी और त्रुटिहीन प्रक्रिया बनाए।