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संसद में 29 जुलाई से ऑपरेशन सिंदूर पर बहस, पीएम से जवाब मांग रहा विपक्ष

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नई दिल्ली

23 जुलाई 2025

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर संसद में बड़ा राजनीतिक टकराव तय माना जा रहा है। सरकार ने आगामी 29 जुलाई से लोकसभा में और 30 जुलाई से राज्यसभा में इस मुद्दे पर विशेष बहस के लिए 16-16 घंटे का समय निर्धारित किया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सनसनीखेज दावे के बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री से जवाब की मांग को लेकर लगातार दबाव बढ़ाया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस बयान को लेकर विपक्ष हमलावर है और लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में सीधा स्पष्टीकरण मांग रहा है। हालांकि, सरकार ने बहस की तारीख प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे के चलते विपक्ष की जल्द चर्चा की मांग को फिलहाल खारिज कर दिया है।

सरकार इस बहस के लिए पूरी तैयारी में जुट गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की हैं, ताकि सरकार अपनी बात पूरी ताकत के साथ संसद में रख सके। इस रणनीति को 26 जुलाई के कारगिल विजय दिवस से जोड़ते हुए ‘राष्ट्रीय गौरव’ के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है।

गौरतलब है कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया था, जो पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित कार्रवाई थी। महज़ 22 मिनट में यह ऑपरेशन पूरा किया गया और इसे ‘पूर्ण सफलता’ घोषित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘विजय उत्सव’ कहते हुए देश की स्वदेशी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन बताया था।

इस बीच, विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के अलावा बिहार में चल रही मतदाता सूची की विशेष समीक्षा (SIR) और पहलगाम हमले को लेकर भी संसद में चर्चा की मांग की है। साथ ही, विपक्ष चाहता है कि संसदीय बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक हर सप्ताह हो, ताकि नियमित और समृद्ध संवाद संभव हो सके।

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार देश को हर जरूरी जानकारी देने के लिए तैयार है, वहीं किरण रिजिजू ने भी कहा कि ऐसे मुद्दों पर संसद में सार्थक बहस ज़रूरी है और सरकार विपक्ष के साथ समन्वय के पक्ष में है।

अब सभी की निगाहें 29 जुलाई की बहस पर टिकी हैं, जहां प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के भाषणों के साथ संसद का मानसून सत्र एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाला है।

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