नई दिल्ली
23 जुलाई
किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें बेहतर बाजार मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल माध्यमों को एक सशक्त हथियार बनाया है। 2016 में शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना का उद्देश्य किसानों को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में अपनी उपज बेचने का मंच देना है, जिससे वे देश भर के अधिक से अधिक खरीदारों तक पहुंच बना सकें।
कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) अब ई-नाम, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जुड़ रहे हैं। इससे छोटे किसानों को भी व्यापक बाजार में प्रवेश का अवसर मिल रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वर्किंग पेपर के मुताबिक टमाटर, प्याज और आलू जैसी फसलों में उपभोक्ता मूल्य का केवल 33-37% हिस्सा ही किसानों को मिलता है। फलों में भी यह हिस्सेदारी 31% से 43% तक सीमित है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं—बिचौलियों की श्रृंखला, उच्च विपणन लागत और फसलों का शीघ्र खराब हो जाना।
इसी चुनौती को हल करने के लिए सरकार ने कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के तहत 8258 करोड़ रुपये की लागत से 2454 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं से छोटे और सीमांत किसानों को उनकी उपज के भंडारण, ग्रेडिंग, पैकिंग और विपणन में मदद मिल रही है।
इसके अलावा, MIDH योजना (बागवानी मिशन) के तहत पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज, रिफर ट्रांसपोर्ट और रिपनिंग चेंबर की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। सामान्य क्षेत्रों में 35% और पहाड़ी एवं अनुसूचित क्षेत्रों में 50% तक की परियोजना लागत का सब्सिडी रूप में समर्थन दिया जा रहा है।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी।
सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है—डिजिटल सशक्तिकरण, बुनियादी ढांचे का विकास और मूल्य श्रृंखला में सुधार के माध्यम से किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य दिलाना और आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूत बनाना।