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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और “दूतों की टीम” की वापसी – प्रधानमंत्री से मुलाक़ात विशेष रिपोर्ट

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क्रांतिकारी सैन्य कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी

7 मई 2025 को, लगभग दो सप्ताह बाद पहलगाम (22 अप्रैल) आतंकवादी हमले के, भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान तथा पाक-कश्मीर में सक्रिय 9 ठिकानों पर सटीक आक्रमण किया। इन ठिकानों पर Lashkar-e-Taiba और Jaish-e-Mohammed जैसे प्रमुख आतंकी संगठनों के शिविर स्थित थे। करीब 25 मिनट में पूर्ण सटीक स्ट्राइक कर लगभग 70 आतंकियों को मार गिराया गया — यह भारत की नई सुरक्षा नीति—“हर आतंकी हमले का उत्तर ठोस सैन्य कार्रवाई से”—की स्पष्ट अभिव्यक्ति थी। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को रोकने की दिशा में निर्णायक कदम था ।

इस कार्रवाई के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कोई भी हमले को अंजाम देने की हिम्मत करेगा, तो उसे “भारत के जवाब” का सामना करना पड़ेगा; साथ ही यह भी कहा कि अब आतंकवाद पर कोई रियायत नहीं होगी — इसे एक ‘युद्ध’ माना जाएगा, सिर्फ एक पुलिस कार्रवाई नहीं ।

कूटनीतिक मोर्चे पर पारदर्शिता: सांसदों की अंतरराष्ट्रीय मिशन 

ऑपरेशन के साथ ही सरकार ने एक अद्वितीय कूटनीतिक पहल की — “ऑपरेशन सिंदूर आउटरीच”. इसमें सात ‘आल-पार्टी दल’ (राजसत्ता और विपक्ष से MPs का मिश्रित प्रतिनिधिमंडल) को भेजा गया। ये दल कुल 33 देशों में गए, जहाँ उन्होंने सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद और भारत की जवाबी कार्रवाई को उजागर किया ।

दल के सदस्य—जिनमें शामिल थे BJP के रविशंकर प्रसाद व बाईजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, JD(U) के संजय झा, NCP की सुप्रिया सुळे, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, DMK की कनिमोझी—ने अपनी-अपनी यात्रा का संक्षिप्त विवरण विदेशों में दिए गए संदेश, विदेशों में मिली जनसमर्थन, और आतंकवाद के विरुद्ध भारत की स्थिर नीतियों को साझा किया ।

पीएम से मुलाक़ात और फीडबैक सत्र 

10–11 जून 2025 में सभी दलों के वापस आकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात हुई। यह बैठक 7 लोक कल्याण मार्ग में हुई, जहां सांसदों ने अपनी यात्राओं के अनुभव, विदेशों में मिल रही प्रतिक्रियाएँ, और आतंकवाद के वित्तीय-सांस्कृतिक समर्थन पर विदेशी दृष्टिकोण साझा किए ।

JD(U) के संजय झा ने बताया कि प्रधानमंत्री ने “शून्य सहनशीलता नीति” पर जोर दिया और कहा कि आतंकी गतिविधियाँ सीमापार से हिंसा नहीं, युद्ध की तरह होंगी—इसमें कोई फर्क नहीं कि आतंकवाद संगठनों का कोई भी रूप हो । पीएम ने सांसदों को आलोचनात्मक और सकारात्मक सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही दलों की “राष्ट्रीय एकता संदेश” की सराहना की।

रणनीति की निर्मित सफलता 

यह पहल कई मायनों में सफल रही:

अंतरराष्ट्रीय मंचों (यूएस, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका, आसियान) में भारत का विकल्पवादी दृष्टिकोण सशक्त हुआ।

पाकिस्तान के सहयोग दरवाज़े बंद होते दिखे, FATF व UN जैसे गुटों में सहानुभूतिपूर्ण माहौल बना।

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह नीति सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि राष्ट्र की आवाज़, कूटनीति और जनमत की संयुक्त अभिव्यक्ति है ।

ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी — यह एक बहुआयामी रणनीतिक पुकार थी जो संयुक्त रूप से सैन्य, कूटनीतिक और जन-सांस्कृतिक प्रयासों से संचालित हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को यात्रा के अनुभव सुनकर यह साबित किया कि भारत राजनीतिक दृष्टि से एकजुट, रणनीतिक रूप से सक्षम और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद विरोधी आस्था को मजबूती से वास्तविकता बना रहा है। यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अब सिर्फ धमकियों का जवाब देने वाला राष्ट्र ही नहीं, बल्कि व्यापक सुरक्षात्मक और कूटनीतिक मशीनरी का संचालनकर्ता भी है।

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