Home » National » पहलगाम आतंकी हमले की जांच: आतंक के नेटवर्क का भंडाफोड़

पहलगाम आतंकी हमले की जांच: आतंक के नेटवर्क का भंडाफोड़

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

22 अप्रैल को बाइसरन घाटी, पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने जिस तरह देश को दहला दिया, उसी तीव्रता से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इसकी जांच को प्राथमिकता में लिया। शुरुआती 48 घंटों में, घटनास्थल से जुटाए गए तकनीकी और मानव सूचनाओं के आधार पर एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुँची कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा की छाया इकाई ‘The Resistance Front (TRF)’ द्वारा अंजाम दिया गया था — जो हाल के वर्षों में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की ओर से जम्मू-कश्मीर में ‘लोकलाइज्ड नैरेटिव’ गढ़ने का नया जरिया बन चुका है।

जांच में पता चला कि हमले में शामिल कम से कम तीन आतंकी पाकिस्तान के मूल निवासी थे, जिन्होंने हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ की थी। इनके साथ दो स्थानीय व्यक्तियों की गिरफ्तारी ने जांच को बड़ा मोड़ दिया — ये आरोपी आतंकियों को शरण, भोजन, मार्गदर्शन और इलाके की रेकी (जासूसी) में मदद कर रहे थे। यह खुलासा दर्शाता है कि आतंकी संगठनों को स्थानीय स्तर पर सीमित समर्थन अब भी मिल रहा है, और घाटी में ‘स्लीपर सेल्स’ के रूप में कई लोग सक्रिय हो सकते हैं।

NIA, जम्मू-कश्मीर पुलिस, और RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के बीच समन्वय ने इस जटिल जांच को गति दी। फोन कॉल्स की ट्रेसिंग, ड्रोन फुटेज, सीमाई मूवमेंट की निगरानी, और मनी ट्रेल्स की पड़ताल से यह साबित हुआ कि हमले की योजना पाकिस्तान के बालाकोट और रावलपिंडी में बैठे मास्टरमाइंड्स ने रची थी, और उसे TRF की स्थानीय इकाइयों ने अमल में लाया।

भारत सरकार ने तुरंत LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर सुरक्षा उपाय सख्त कर दिए, हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम सक्रिय किया गया, और कई संवेदनशील इलाकों में काउंटर-रेडिकलाइजेशन सेल्स और इंटेलिजेंस नेटवर्क को फिर से सक्रिय किया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सेना प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक कर “Zero Tolerance on Cross-border Terrorism” नीति को दोहराया।

घाटी में आतंक के सामाजिक प्रभाव को कम करने के लिए सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने पर भी विशेष बल दिया गया। प्रशासन ने स्थानीय पंचायतों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और मंदिर समितियों के साथ सामूहिक संवाद की पहल की — ताकि धर्म के नाम पर फैलाई जा रही नफरत को जड़ से काटा जा सके।

इसके साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाना शुरू कर दिया। संयुक्त राष्ट्र और FATF (Financial Action Task Force) में TRF को आतंकी संगठन घोषित करने की प्रक्रिया को तेज किया गया। यह भारत के कड़े रुख को दर्शाता है कि अब न केवल आतंकी, बल्कि उन्हें पालने-पोसने वाले देशों और नेटवर्कों को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।

यह जांच सिर्फ हमले के दोषियों तक पहुँचने तक सीमित नहीं रही — यह एक संदेश था कि भारत अब आतंक की हर परछाईं का पीछा करेगा, चाहे वह कश्मीर की घाटियों में हो या सीमा पार के शिविरों में।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *