नई दिल्ली/अहमदाबाद
20 जुलाई 2025
एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 की भयावह दुर्घटना को लेकर देश और विदेश में उठ रहे सवालों के बीच नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) का मजबूती से बचाव किया है। मंत्री ने पश्चिमी मीडिया की तीखी आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि “प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना न तो व्यावसायिक दृष्टि से सही है और न ही नैतिक दृष्टि से।”
यह बयान उस समय आया है जब एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद एक रिहायशी इमारत से टकराकर भीषण हादसे का रूप ले लिया। इस त्रासदी में विमान में सवार सभी 241 यात्रियों सहित कुल 260 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या है:
एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट में पायलट की ओर से किसी भी तकनीकी खराबी की शिकायत की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रिपोर्ट ने संभावित बर्ड हिट और इंजन फेल्योर की ओर इशारा किया है। वहीं, ब्लैक बॉक्स डेटा और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रिकॉर्ड की गहन जांच जारी है।
पश्चिमी मीडिया पर मंत्री की नाराजगी:
मंत्री ने कहा, “कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान पहले ही दोष तय करने लगे हैं। यह हादसे की गंभीरता और जांच प्रक्रिया के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है। भारत की जांच एजेंसियां ICAO के मानकों के अनुरूप काम कर रही हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।”
पीड़ित परिवारों को मिलेगा मुआवजा:
सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए अंतरिम मुआवजे की घोषणा कर दी है। इसके अलावा एयर इंडिया ने भी स्वतंत्र रूप से सहायता पैकेज तैयार किया है।
राजनीतिक हलकों और एविएशन इंडस्ट्री में हलचल:
इस दुर्घटना ने भारत की एविएशन सुरक्षा व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। विपक्ष ने सरकार से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है, वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि “फ्लाइट सेफ्टी ऑडिट और पायलट ट्रेनिंग सिस्टम की व्यापक समीक्षा ज़रूरी है।”
क्या है आगे की राह?
AAIB ने स्पष्ट किया है कि फाइनल रिपोर्ट आने में 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता है। तब तक किसी भी तरह की अटकलबाज़ी से परहेज़ करना सभी हितधारकों की जिम्मेदारी है। हादसा भारत के उड्डयन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गया है, जिससे सबक लेकर सिस्टम की पुनर्रचना अब अपरिहार्य मानी जा रही है।