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शहरी हवाई यातायात पर दो दिवसीय कार्यशाला, एकीकृत आकाशीय प्रबंधन पर फोकस

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सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (CSIR-NAL) और सीएसआईआर-नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (CSIR-NPL) द्वारा “यूनिफाइड एयरस्पेस मैनेजमेंट और संबद्ध तकनीकों” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 17 और 18 जुलाई को किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत में शहरी हवाई यातायात (Urban Air Mobility – UAM) के लिए एक समग्र और सुरक्षित ढांचा तैयार करने को लेकर वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों, स्टार्टअप, रक्षा सेवाओं, शिक्षाविदों और नियामक संस्थाओं के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना था। कार्यशाला में भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एयर टैक्सी, ड्रोन संचालन, एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, जीपीएस रहित नेविगेशन, जियो-फेंसिंग, एंटी-ड्रोन सिस्टम और सुरक्षित हवाई गलियारों जैसी तकनीकों पर गहराई से चर्चा की गई।

इस अवसर पर CSIR-NAL द्वारा दो सीटर शहरी एयर टैक्सी के डिज़ाइन और विकास की योजना की घोषणा की गई, साथ ही शहरी आकाशीय यातायात के लिए ट्रैफिक प्रबंधन और यूनिफाइड एयरस्पेस मैनेजमेंट तकनीकों पर अनुसंधान का खाका भी प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के दौरान डॉ. ए. ए. पशीलकर (निदेशक, NAL), डॉ. हनुमंत राव (महानिदेशक, SAMEER), डॉ. नलिनी कलैसेल्वी (सचिव, DSIR और महानिदेशक, CSIR), डॉ. एस. सोमनाथ (पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग), और श्री समीर कुमार सिन्हा (सचिव, नागर विमानन मंत्रालय) जैसे प्रमुख वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने भारत में बढ़ते ड्रोन उपयोग, मानवरहित हवाई प्रणालियों, संचार तकनीकों में सुधार, और वैधानिक नीति-निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सोमनाथ ने चेताया कि सुरक्षित और निर्बाध एयरस्पेस के लिए मल्टी-सेंसर डेटा फ्यूजन, इमेज-बेस्ड ट्रैकिंग और कई टेस्ट सुविधाएं अत्यंत आवश्यक हैं।

इस कार्यशाला में सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो शहरी वायु यातायात प्रणाली और ड्रोन एकीकरण की दिशा में नीति, तकनीक और मानव संसाधन का समन्वित विकास बेहद जरूरी है। उन्होंने मिशन मोड में कार्य करते हुए नीति निर्माताओं, रक्षा क्षेत्र, उद्योग जगत, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग की अपील की। नागर विमानन मंत्रालय ने CSIR-NAL के प्रयासों की सराहना करते हुए भविष्य में सभी आवश्यक सहयोग का आश्वासन दिया। इस कार्यशाला को शहरी और उन्नत हवाई गतिशीलता (Urban/Advanced Air Mobility) के लिए भारत में एक मजबूत ढांचा तैयार करने की दिशा में पहला ठोस कदम माना जा रहा है।

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