मोतिहारी, बिहार
18 जुलाई 2025
मोतीहारी की धरती से विकास की नई शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मोतीहारी में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में 7000 करोड़ रुपये से अधिक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर पूर्वांचल के विकास की एक नई कहानी लिखने की शुरुआत की। ये परियोजनाएं केवल सड़कें, पुल या भवन नहीं हैं, बल्कि यह बिहार की सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक संभावनाओं के पुनरुत्थान का प्रतीक हैं। इनमें से कई परियोजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी थीं, जिन्हें केंद्र सरकार की प्राथमिकता में लाकर फिर से गति दी गई। प्रधानमंत्री ने स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए कहा कि “बिहार अब विकास की दौड़ में पीछे नहीं, सबसे आगे खड़ा है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विकास केवल महानगरों तक सीमित नहीं, बल्कि गांवों, कस्बों और सीमावर्ती जिलों तक पहुंचेगा।
‘विकसित भारत’ के संकल्प में बिहार की भागीदारी
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की बात करते हुए बिहार को उसमें अहम भागीदार बताया। उन्होंने कहा कि आज का बिहार, कल का नेतृत्वकर्ता बनने जा रहा है। युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, स्वरोजगार के लिए ऋण सुविधा, और महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “देश को विकसित बनाना है, तो गांवों को समृद्ध करना होगा और इसके लिए सबसे बड़ी ताकत हैं हमारे युवा।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिहार में जिस तरह से सड़क और रेल कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है, उससे न केवल आवागमन सरल होगा, बल्कि स्थानीय उद्योगों और कृषि उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुंच आसान होगी।
अर्थव्यवस्था, व्यापार और रोजगार को मिलेगा नया आयाम
इन परियोजनाओं से बिहार की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त संबल मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि जब सड़कें बनती हैं, तो सिर्फ दूरी नहीं, सपनों के बीच की दूरी भी मिटती है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि कैसे हर गांव, ब्लॉक और जिले को राष्ट्रीय राजमार्गों और औद्योगिक गलियारों से जोड़ा जा रहा है। इससे MSME उद्योगों, स्थानीय हस्तशिल्प, कृषि विपणन और पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार का ध्यान इस बात पर है कि विकास के साथ-साथ रोजगार का भी सृजन हो। प्रधानमंत्री ने बताया कि इन परियोजनाओं से लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, जिससे पलायन की समस्या पर भी लगाम लगेगी।
राजनीतिक संदेश और भरोसे की पुनः स्थापना
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि केंद्र सरकार की नीतियों में बिहार को प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मंच से कहा कि बिहार को “बुनियादी ढांचे के मॉडल राज्य” के रूप में विकसित करने की योजना पर केंद्रित काम हो रहा है। मंच से उठी हर आवाज़ में एकता, विकास और विश्वास की झलक थी, जिसने जनता को भरोसा दिलाया कि यह सिर्फ भाषण नहीं, काम करने वाली सरकार है। वहीं प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए कहा कि “कुछ लोग सिर्फ सत्ता के लिए आते हैं, हम सेवा के लिए आए हैं।”
विकास की गूंज और जनभावनाओं का संगम
मोतीहारी के इस ऐतिहासिक आयोजन ने न सिर्फ योजनाओं की आधारशिला रखी, बल्कि जनता में नई उम्मीदें, नया जोश और नई ऊर्जा भी भर दी। कई ग्रामीणों ने कार्यक्रम के बाद कहा कि “पहली बार हमें लग रहा है कि कोई सरकार गांव के लोगों को भी इतनी प्राथमिकता दे रही है।” युवाओं में रोजगार और ट्रेनिंग को लेकर सकारात्मक चर्चा थी, जबकि महिलाओं ने प्रधानमंत्री की “नारी शक्ति को नवभारत की ताकत” वाली बात को विशेष सराहा।
मोतीहारी से शुरू हुई यह विकास यात्रा अब सिर्फ पूर्वी भारत की ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक उत्थान का प्रतीक बन सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए उद्घाटन और शिलान्यास केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि उस बदलते भारत की झलक है, जिसमें हर राज्य, हर जिला, हर गांव को साथ लेकर चलने की भावना झलकती है। बिहार अब ठहराव का नहीं, उदय का नाम है।