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UN महासचिव : निर्दोषों पर हमला अस्वीकार्य

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संयुक्त राष्ट्र/ग़ज़ा

18 जुलाई 2025

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गाजा स्थित एक ऐतिहासिक चर्च परिसर पर हुए घातक इज़रायली हमले की कड़ी निंदा की है। इस हमले में कई आम नागरिकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, की मौत और गंभीर रूप से घायल होने की खबर है। महासचिव ने इसे “अत्यंत निंदनीय और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन” बताया।

चर्च बना युद्ध का शिकार, शरणार्थी मारे गए

गाजा सिटी में स्थित यह चर्च परिसर युद्ध से बचकर आए स्थानीय नागरिकों और ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए शरणस्थली बना हुआ था। गुरुवार देर रात इज़रायली हमले में चर्च की दीवारें ढह गईं और मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई गई है। चर्च प्रशासन के अनुसार, मरने वालों में कम से कम सात महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं।

गुतारेस बोले – धार्मिक स्थलों पर हमला मानवता के विरुद्ध

यूएन महासचिव ने कहा, “धार्मिक स्थल युद्धभूमि नहीं होते। वहां छिपे निर्दोष लोगों पर बम बरसाना न केवल युद्ध अपराध है, बल्कि पूरी मानवता के खिलाफ अपराध है।” उन्होंने दोनों पक्षों से तुरंत युद्धविराम की अपील की और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की ज़ोरदार मांग की। गुतारेस ने यह भी स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग करेगा।

इज़रायल की सफाई, लेकिन सवाल बरकरार

इज़रायली सेना (IDF) ने इस हमले पर कहा कि उसका निशाना हमास के आतंकी ठिकाने थे जो आसपास के क्षेत्र में छिपे हुए थे, और चर्च को नुकसान ‘अनजाने में’ हुआ। हालांकि चर्च प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि हमला सीधे चर्च परिसर पर केंद्रित था, जहां करीब 500 शरणार्थी मौजूद थे। यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के दायरे में आ गया है।

वैश्विक प्रतिक्रिया: रोमन कैथोलिक चर्च और अरब लीग ने भी जताई नाराज़गी

वेटिकन ने गहरे दुख और चिंता का बयान जारी करते हुए कहा कि “यह हमला उस पवित्र भूमि पर हुआ है, जो शांति और मानवता की प्रतीक मानी जाती है।” वहीं अरब लीग और मुस्लिम देशों ने इस हमले को ईसाई समुदाय के खिलाफ युद्ध की तरह बताया और इज़रायल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

गाजा में हर तरफ धुआं, अब आस्था पर भी हमला

ग़ज़ा में जारी संघर्ष अब सिर्फ भू-राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि धर्म, मानवता और नैतिक मूल्यों पर भी सीधा हमला बनता जा रहा है। जिस चर्च ने लोगों को शांति और सुरक्षा दी, वह आज मलबे में तब्दील है — और यह दुनिया को चेताने के लिए काफी है कि अब युद्ध के नाम पर इंसानियत को दफन करने का दौर बंद होना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बाद अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इज़रायल और हमास इस संघर्ष को विराम देंगे या और मासूम जानें इसकी भेंट चढ़ेंगी।

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