तिरुवनंतपुरम, केरल
18 जुलाई 2025
विवादों और छात्र आंदोलनों के बीच आखिरकार केरल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहनन कुनुम्मल ने शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आधिकारिक रूप से अपने पद पर वापसी की। विश्वविद्यालय परिसर में लंबे समय से चल रहे छात्र विरोध को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने चाक-चौबंद सुरक्षा इंतजाम किए।
चौंकाने वाली बात यह रही कि छात्र संगठन SFI (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) ने इस बार कुलपति के लौटने पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया, जिससे माहौल अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा।
क्या है विवाद की पृष्ठभूमि?
प्रो. कुनुम्मल पर विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अनियमितताओं, भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी और छात्र विरोधियों की अनदेखी जैसे आरोप लगे थे। SFI समेत कई छात्र संगठनों ने उनके खिलाफ लगातार प्रदर्शन और धरने आयोजित किए थे। पिछले महीने विरोध प्रदर्शन के चलते विश्वविद्यालय परिसर में अराजक स्थिति बन गई थी, जिसके बाद कुलपति को कुछ समय के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया था।
शांतिपूर्ण वापसी, लेकिन सतर्कता बनी हुई है
आज जब कुलपति पुनः कार्यभार संभालने पहुंचे, तो पुलिस की भारी मौजूदगी और निषेधाज्ञा जैसी स्थिति देखी गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि “सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की चूक नहीं होने दी गई है। कैंपस में सीसीटीवी निगरानी और रैपिड एक्शन टीम भी तैनात है।” विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी छात्रों से संयम बरतने और शैक्षणिक वातावरण को बनाए रखने की अपील की है।
SFI की चुप्पी के पीछे क्या रणनीति?
SFI ने अब तक कोई औपचारिक विरोध दर्ज नहीं कराया है। छात्र नेताओं ने बताया कि संगठन “लोकतांत्रिक तरीके से मांगें उठाने के पक्ष में है और किसी भी हिंसक टकराव से बचना चाहता है।” हालांकि, सूत्रों का मानना है कि SFI इस समय सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ “टैक्टिकल डायलॉग” में जुटा है, और इसी कारण फिलहाल विरोध स्थगित रखा गया है।
राजनीतिक हलचल भी जारी
इस घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों की नजर भी टिकी हुई है। विपक्षी दलों ने कुलपति की वापसी को “छात्रों की भावनाओं की अनदेखी” करार दिया है, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे “न्यायिक प्रक्रिया का पालन” बताया है।
अस्थायी शांति या तूफान से पहले सन्नाटा?
प्रो. मोहनन कुनुम्मल की वापसी भले शांतिपूर्ण रही हो, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि केरल विश्वविद्यालय में विवाद समाप्त हो गए हैं। छात्र संगठनों की आने वाली रणनीति और कुलपति की प्रशासनिक कार्रवाई की पारदर्शिता ही यह तय करेगी कि कैंपस में स्थायी शांति लौटेगी या फिर कोई नया आंदोलन सिर उठाएगा।