इनकम टैक्स विभाग ने शुरू की एक तीव्र जांच प्रक्रिया, जिसका मकसद उन व्यक्तियों या एजेंटों पर कार्रवाई करना है जो अपराधबोध या छल से टैक्स रिटर्न में गलत छूट, कटौती या फर्क से रिफंड की मांग कर रहे हैं। विभाग ने आज (14 जुलाई 2025) एक बयान में कहा कि यह अभियान महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश के 150 से अधिक स्थानों पर चलाया गया है और जांच के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि नागपुर ज़ोन में अकेले लगभग 9,000 फर्जी रिटर्न्स में ₹100 करोड़ से अधिक की छूट क्लेम की गई थी।
जांच में यह भी उजागर हुआ कि कई टैक्सपेयर्स ने घरेलू नौकरों या शिक्षा ऋण ब्याज, स्वास्थ्य बीमा, राजनीतिक दान आदि के नाम पर रायटरन में झूठी कटौती दर्ज करवाई है। शिवाय इसके, कुछ लोगों ने विदेशी नागरिक होने का दावा कर धारा 10(6) के अंतर्गत ऐसी छूट ली, जिससे कानूनी औचित्य ही नहीं था।
विभाग का अनुकूलन और सख्त अलर्ट
डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स को एक मौका दिया है—राज्य कि अपने गायब or गलत क्लेम्स को सुधारकर चार वर्षों तक पुरानी रिटर्न में संशोधन कर सकते हैं। इस दौरान ~40,000 फाइलर्स द्वारा ₹1,045 करोड़ की झूठी कटौती वापस ली गई है । लेकिन जो लोग अभी भी नज़रअंदाज़ करते रहें, उनके खिलाफ जांच का दायरा बढ़ेगा—नोटिस, पेनल्टी, और संभावित रूप से आपराधिक मुकदमा तक।
टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच का दायरा टैक्स रिटर्न तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ITR तैयार करने वालों और दलालों को भी निशाना बनाया जाएगा—क्योंकि फर्जी क्लेम्स को एक पूरे नेटवर्क द्वारा संचालित ‘रैकेट’ आधारित निशाने से आगे बढ़ाया गया था।
टैक्सपेयर्स के लिए सुझाव
अपने ITR को तुरंत रिव्यू करें: किसी भी शंका या गलत दावा पाएँ, तो संशोधित रिटर्न (revised return) फाइल करें—यह 4 साल की समय सीमा के भीतर संभव है।
मूल दस्तावेज़ों को तैयार रखें: जैसे मेडिकल बिल, उच्च शिक्षा ऋण स्टेटमेंट, HRA दस्तावेज़, फॉर्म 80G–फंड रसीदें आदि—ताकि आपको दावा सिद्ध करने में परेशानी न हो।
विश्वसनीय सलाहकार चुनें: हमेशा पंजीकृत और भरोसेमंद CA या टैक्स प्रोफेशनल से ही सलाह लें; एजेंट जो “ज्यादा रिफंड” का दावा करते हों, उनसे दूर रहें।
नोटिस मिलने पर त्वरित कार्रवाई करें: विभाग द्वारा कोई नोटिस आने पर जवाब समय पर दें; देरी या अनदेखी से कठिन कानूनी परिस्थिति पैदा हो सकती है।
इनकम टैक्स विभाग की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि अब “वित्तीय ईमानदारी” ही सर्वोपरि है। फर्जी छूट–कटौतियाँ सिर्फ आयकर बचाने का माध्यम नहीं, बल्कि एक नौतिक जिम्मेदारी की परीक्षा भी हैं। जो सचेत और पारदर्शी फाइलर हैं, वे इस चरण को सुधार एवं पुनर्स्थापना के रूप में देख सकते हैं।
अगर आपको अपने ITR में संशोधन की जरूरत लगे, तो अब वही समय है—क्योंकि विभाग का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी गलत प्रवृत्ति छूट न पाए।